Delhi में 2 लाख गर्भवती महिलाओं को लगी वैक्सीन, जागरुकता के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 16, 2022, 03:18 PM IST

बेल्जियम में व्यक्ति ने 8 बार वैक्सीन की डोज लगवा ली.

दिल्ली में गर्भवती महिलाओं में वैक्सीनेशन की हिचक और संशय को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार आंगनवाड़ी और आशा वर्कर्स की मदद से एक कैंपेन चलाएगी.

डीएनए हिंदी: देश की राजधानी दिल्ली में लगभग 2 लाख गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का टीकाकरण करने के बाद दिल्ली सरकार ने वैक्सीनेशन के प्रति अधिक जागरूकता के लिए करीब 4 हजार आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद लेने का फैसला किया है. इसके साथ ही सभी उप-मंडलों में पिंक बूथ जैसे विशेष केंद्र स्थापित करने और सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देने की भी योजना बनाई जा रही है. 

वैक्सीनेशन के लिए जागरूकता

दरअसल दिल्ली सरकार के इस वैक्सीनेशन अभियान अभियान के तहत, कार्यकर्ता प्रत्येक डिवीजन, सब-डिवीजन, आरडब्ल्यूए, कॉलोनी, गली और स्लम क्लस्टर का दौरा करेंगी. ये लोगों को जानकारी देंगी कि गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण क्यों महत्वपूर्ण है. आपको बता दें कि दिल्ली में कुल 2% के करीब गर्भवती महिलाएं हैं. आशा वर्कर्स ये बताएंगी कि वैक्सीनेशन से बच्चे को कोई नुक़सान नहीं होगा.

वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने कई उपाय किए हैं और 100% से अधिक (एक खुराक के साथ) टीकाकरण किया है लेकिन लोगों में अभी भी हिचकिचाहट है. स्तनपान कराने वाली माताओं में वैक्सीनेशन के बारे में कई मिथक हैं कि वैक्सीन का शॉट बच्चे को प्रभावित कर सकता है. इसके चलते अभियान का प्राथमिक उद्देश्य इस मिथक को तोड़ना और सभी गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का टीकाकरण करना है.” 

सरकार ने अनिवार्य किया टीका

इतना ही नहीं सरकार ने आशा क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों में जाने वाली महिलाओं के लिए टीकाकरण अनिवार्य करने का भी फैसला किया है. इस संबंध में अधिकारी ने बताया, “आशा क्लीनिक या सरकारी अस्पतालों में जाने वाली महिलाओं के लिए टीकाकरण अनिवार्य किया गया है और यदि नहीं हुआ है तो पंजीकरण करने के लिए कहा जाएगा. डॉक्टरों द्वारा उनकी निगरानी की जाएगी और टीकाकरण के लिए परामर्श दिया जाएंगे. जिला अधिकारी भी इन महिलाओं को बुलाकर लगातार समझा रहे हैं.”

वहीं इस मामले में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक प्रोफेसर और प्रमुख डॉ अंजलि टेम्पे ने कहा, "यह एक उत्कृष्ट पहल है. टीकाकरण सभी के लिए जरूरी है लेकिन कुछ गर्भवती महिलाओं को दवाओं से एलर्जी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही तक टीकाकरण से बचना चाहिए लेकिन बाकी को डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही टीका लगवाना चाहिए. स्तनपान कराने वाली माताओं को टीका जरूर लगवाना चाहिए क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए है." 

टीका न लगाने वाले हो रहे संक्रमित 

वहीं वैक्सीनेशन को लेकर अधिकारियों ने यह भी कहा कि बिना टीकाकरण वाले लोग दूसरों की तुलना में अधिक संक्रमित हो रहे हैं. गौरतलब है कि 15-17 आयु वर्ग के अक्षम बच्चों को आश्रय गृहों में ही वैक्सीन लगाई जा रही है. वहीं दिल्ली सरकार की गर्भवती महिलाओं की वैक्सीनेशन संबंधी इस योजना को एक सकारात्मकता माना जा रहा है.

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