डीएनए हिंदी: सेक्स (Sex) से इनकार करने से ही किसी दंपति को 1 साल के भीतर शादी खत्म करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक फैसले के दौरान इसी बात का जिक्र किया है. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें म्युचुअल डिवोर्स के लिए याचिका कोर्ट में फाइल की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने ट्रायल कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी पेश की थी. वह दोनों एक साल के भीतर ही तलाक चाहते थे. कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि इसे जल्द तलाक का आधार नहीं बनाया जा सकता है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा यह असाधारण अपवाद या असाधारण भ्रष्टता की श्रेणी में नहीं आता है.
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'सेक्स से इनकार असाधारण क्रूरता नहीं'
एक्टिंग चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की खंडपीठ ने आदेश में कहा, 'यह बात सच है कि दांपत्य अधिकारों से इनकार करना एक वक्त के बाद क्रूरता की श्रेणी में आता है लेकिन इसे असाधारण परिस्थितियों नहीं रखा जा सकता है. यह कहीं से भी असाधारण स्थिति नहीं है.' कोर्ट ने सेक्स से इनकार को असाधारण क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा है.
क्या है कोर्ट का तर्क?
कोर्ट ने कहा है कि हिंदी मैरिज एक्ट की धारा 13 और 13बी और धारा 14 लोगों और उनकी शादी को बचाने के लिए प्रवर्तनीय बनाई गई हैं. कोर्ट क्रूरता की स्थिति में तलाक की मंजूरी सालभर के भीतर देता है. लेकिन इसे इस श्रेणी में नहीं रखा जाता है. इसके लिए विधि द्वारा स्थापित एक उचित प्रक्रिया को दरकिनार नहीं किया जा सकता है.
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फैमिली कोर्ट ने 16 अक्टूबर को 2021 को तलाक के 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने धारा 14 के तहत खारिज किया था क्योंकि एक साल की अवधि की समाप्ति से पहले ही तलाक की अर्जी दाखिल कर दी गई थी.
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