डीएनए हिंदी: दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ रुपये के घोटाले (Delhi Water Board Scam) का मामला सामने आया है. एंटी करप्शन ब्रांच (Anti Corruption Branch) ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. तीनो आरोपी कॉन्ट्रेंक्ट खत्म होने के बाद भी बिल का कलेक्शन कर रहे थे. पकड़े गए आरोपियों से एक रूस से भारत आया था जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी की गई. एंटी करप्शन ब्रांच की टीम सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है.
जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों में Aurrrum e payment कंपनी का मालिक राजेंद्रन नायर भी शामिल हैं. नायर के पास रूस का पासपोर्ट है. वह मूलरूप केरल के रहने वाले हैं. वहीं दूसरा आरोपी Aurrum e payemnt में एडिशनल डारेक्टर डॉ. अभिलाश वासुकुत्तन पिल्लई है. जो इससे पहले Freshpay IT solution के डारेक्टर हुआ करते थे. जबकि तीसरा आरोपी गोपी कुमार केडिया इसी कंपनी में सीएफओ था.
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क्या है पूरा मामला?
एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) को मिली शिकायत के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड ने अपने अपभोक्ताओं से बिल कलेक्शन करने के जिम्मा कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank) को दिया था. इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड ने 2012 में बैंक के साथ तीन साल का कॉन्ट्रेक्ट किया था. बाद में इसे 2016, फिर 2017 और और 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया. उपभोक्ताओं के कैश और चेक से बिल जमा करने के लिए जल बोर्ड की ही स्थानीय दफ्तरों में ई-क्योस्क मशीनें लगाई गई थीं. जिससे उपभोक्ताओं को बिल जमा करने में कोई दिक्कत न हो सके.
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ACB के सूत्रों के अनुसार, कॉर्पोरेशन बैंक ने इस कैश और चेक कलेक्शन की जिम्मेदारी M/S Freshpay IT Solution Pvt Ltd को दे दी. उसे उपभोक्ताओं से बिल कलेक्ट करके पैसै सीधे दिल्ली जल बोर्ड के खाते में जमा कराना था. लेकिन कंपनी ने ई-क्योस्क मशीन से कलेक्ट किए गए इस पैसे को जल बोर्ड की बजाए फेडरल बैंक के खाते में जमा करा दिया. फेडरल बैंक के जिस एकाउंट में इस पैसे को डाला गया वह M/S Aurrum E-Payment Pvt Ltd के नाम था.
20 करोड़ रुपये की हेराफेरी
इसके बाद फेडरल बैंक के जिस खाते में ये पास जमा किया गया था, उस अकाउंट से RTGS के जरिए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया गया. जब जल बोर्ड को इस फर्जीवाड़े के बारे में पता चला तो उसने कॉन्ट्रेक्ट को रद्द करने की बजाय रिन्यू कर दिया. वहीं, आरोपियों का घोटाला यहीं नहीं रुका. 2019 में कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाने के बाद भी Aurrrum e payment 2021 तक पेमेंट कलेक्ट करती रही. विजिलेंस डिपार्टमें ने पाया कि 20 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है.
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