डीएनए हिंदी: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार और उपराज्यपाल वी के सक्सेना (Delhi LG vs Arvind Kejriwal Government) के बीच हुए प्राशानिक नियुक्तियों से लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग के विवाद को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने बताया है कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ (Supreme Court Constitutional Bench) का कहना है कि दिल्ली सरकार दिल्ली के मतदाताओं द्वारा चुनी गई है और प्रतिनिधि लोकतंत्र के आगे के उद्देश्य के लिए इसकी व्याख्या की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने के लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है. NCDT एक्ट का अनुच्छेद 239aa विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है. यह अनुच्छेद विधानसभा की शक्तियों की समुचित व्याख्या करता है. इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है.
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Arvind Kejriwal को बताया असली बॉस
दिल्ली सरकार वर्सेज एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत बुनियादी संरचना संघवाद का एक हिस्सा है, जो विविध हितों के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं. वहीं, विविध आवश्यकताओं को समायोजित करते हैं. कोर्ट ने कहा है कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के पास ही नौकरशाही को कंट्रोल करने के अधिकार होने चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर प्रशासनिक सेवाओं को विधायी और कार्यकारी डोमैन से बाहर रखा जाता है, तो मंत्रियों को उन सिविल सेवकों को कंट्रोल करने से बाहर रखा जाएगा, जिन्हें कार्यकारी निर्णयों को लागू करना है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
- अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा
- चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए.
- कोई भी उपराज्यपाल हो, उसे दिल्ली सरकार की सारी सलाहें माननी होंगी.
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केंद्र सरकार द्वारा कानून पास करने के बाद हुआ था टकराव
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) पास किया था. इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे. इस फैसले को लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुना दिया है.
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