डीएनए हिंदी: दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने एक नवविवाहित महिला की आत्महत्या और घरेलू हिंसा के मामले में बड़ा फैसला किया है. कोर्ट ने केस से जुड़े तीन आरोपियों यानी महिला के पति, उसके ससुर और देवर को बरी कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट के जज ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि शादी के तुरंत बाद अगर कोई नवविवाहित महिला आत्महत्या करती है तो जरूरी नहीं है कि महिला को ससुराल वालों न दहेज या किसी अन्य तरीके से प्रताड़ित ही किया हो.
कड़कड़डूमा कोर्ट ने मामले में गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा, "आत्महत्या मानव स्वभाव का हिस्सा बनती जा रही है. युवा लोग मामूली तनाव में भी आत्महत्या जैसा यह गंभीर कदम उठा लेते हैं. अगर कोई नवविवाहिता ससुराल में आत्महत्या करती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वह ससुराल पक्ष द्वारा घरेलू हिंसा के तहत प्रताड़ित की गई थी.
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तीन आरोपियों को किया बरी
एक नवविवाहिता के साथ दहेज हत्या, घरेलू हिंसा और उत्पीड़न के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण सुखीजा की बेंच ने तीन आरोपियों, महिला के पति, ससुर और देवर को बरी कर दिया. दिल्ली की इस कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हर आत्महत्या के पीछे वजह उत्पीड़न ही नहीं होता है, कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं.
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हिम्मत हारकर आत्महत्या चुन लेते हैं लोग
कोर्ट ने कहा है कि आजकल युवाओं में सहनशीलता घटी है और वह खुद की जान लेने जैसा खतरनाक कदम उठा रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के एक पुराने आदेश का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा है कि कुछ लोग मामूली तनाव बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं जबकि हर व्यक्ति के जीवन में सामान्य तौर पर ऐसे तनाव आते रहते हैं. कुछ लोग उन परिस्थितियों के अनुकूल नहीं चल पाते हैं तो ऐसे लोग मुसीबत का हल निकालने के बजाए आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं.
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