Delhi Ordinance Row: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ को रेफर किया केस, अब 5 जज करेंगे सुनवाई

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 20, 2023, 03:24 PM IST

Supreme Court of India

Delhi Ordinance Issue: केंद्र सरकार मानसून सत्र में अध्यादेश पेश कर रही है, जिसके बाद दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की प्रशासनिक सेवाओं का कंट्रोल उसे मिल जाएगा.

डीएनए हिंदी: Supreme Court News- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार की वह याचिका सुनवाई के लिए संविधान बेंच को रेफर कर दी है, जिसमें केंद्र सरकार के सर्विस ऑर्डिनेंस को चुनौती दी गई है. अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ करेगी. केंद्र सरकार हाल ही में एक ऑर्डिनेंस लाई है, जो दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की प्रशासनिक सेवाओं का कंट्रोल दिल्ली सरकार के बजाय केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उप राज्यपाल को सौंप देगा. दिल्ली की आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) सरकार ने इसे अपने अधिकारों का हनन और सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले अवमानना बताया है, जिसमें प्रशासनिक अधिकार जनता द्वारा निर्वाचित दिल्ली सरकार के पास होने की बात कही गई थी. 

दिल्ली के वकील ने संविधान पीठ में केस भेजने का किया विरोध

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की मौजूदगी वाली पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई की. बेंच ने मामले को संविधान पीठ को भेजने की बात कही, जिसका दिल्ली सरकार की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध किया. सिंघवी ने कहा, संविधान पीठ को रेफर करने से पूरा सिस्टम लकवे जैसी हालत में आ जाएगा, क्योंकि फिर सुनवाई में समय लगेगा. यह बेहद छोटा मुद्दा है, जिस पर 3 जज की बेंच भी निर्णय ले सकती है. 

अनुच्छेद 370 से पहले हो इस केस की सुनवाई

सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करते हुए कहा, यदि फिर भी यह मुद्दा संविधान पीठ को सौंपा जाता है तो इसकी प्राथमिकता पर सुनवाई की जाए. उन्होंने इस मामले को सुनवाई के लिए संविधान पीठ के सामने अनुच्छेद 370 मामले से पहले रखे जाने का आग्रह किया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट बेंच ने यह स्पष्ट कर दिया कि अनुच्छेद 370 की सुनवाई का शेड्यूल नहीं बदला जा सकता.

अटॉर्नी जनरल ने दी संविधान पीठ में केस भेजने की सलाह

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमण ने मामले को संविधान पीठ में भेजने की सलाह दी. उन्होंने कहा, यदि 3 जजों की बेंच को लगता है कि मामले में कानून से जुड़े अहम प्रश्न शामिल हैं तो वह इसे रेफर कर सकती है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 17 जुलाई को पिछली सुनवाई में ही यह संकेत दे दिया था कि वह मामले को संविधान पीठ को भेजेगी. बेंच ने माना था कि संविधान के अनुच्छेद 239एए(7)(ए) के तहत मिली शक्तियों को क्या मौजूदा तरीके का कानून बनाने में लागू किया जा सकता है, इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार बनाम भारत सरकार मामलों में 2018 और 2023 की संविधान पीठ के फैसलों के दौरान विचार नहीं हुआ है. 

दिल्ली सरकार ने पिछली सुनवाई पर भी किया था विरोध

दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 17 जुलाई को भी इस केस को संविधान पीठ के सामने भेजने का विरोध किया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बेंच से इस मुद्दे पर बहस करने की इजाजत मांगी थी. इसके बाद 20 जुलाई को सुनवाई करने का फैसला लिया गया था. हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट पीठ से इस केस की सुनवाई टालने का आग्रह किया था, क्योंकि यह ऑर्डिनेंस 20 जुलाई को ही लोक सभा के मानसून सत्र में संसद में पेश होने वाला था.

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