Delhi Police ने एक शख्स को मारी गोली, Court ने दिया 3 पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 05, 2022, 07:57 AM IST

एक शख्स ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने बेवजह उसे हिरासत में लिया है और बेवजह गोली मार दी है.

डीएनए हिंदी: दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने एक संदिग्ध के घुटने पर गोली मारने के आरोप में पुलिस टीम के तीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया है. सत्र न्यायालय ने हाल ही में पुलिस को आड़े हाथों लिया है. कुछ आरोपों के आधार पर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की विशेष टीम ने तीन महीने की अवधि में पांच संदिग्धों को उठाकर गोलियां मारी हैं. वहीं इस मामले में पुलिस ने संदिग्धों पर विभिन्न अपराधों के आरोप लगाए थे और दावा किया था कि उन्हें जवाबी फायरिंग में गोली मारी गई थी. 

पुलिस पर लगे गंभीर आरोप

दीपक चौहान नाम के एक शख्स ने अदालत को बताया था कि उन्हें 1 अक्टूबर, 2021 को विशेष पुलिसकर्मियों द्वारा उठा लिया गया था, और तीन दिनों के लिए उनके कार्यालय में रखा गया था. उन्होंने दावा किया कि बाद में उन्हें श्मशान घाट ले जाया गया और घुटने में गोली मार दी गई. वहीं पुलिस ने दावा किया कि वह एक आपराधिक गिरोह को हथियारों की आपूर्ति करने जा रहा था और जब उसे रोका गया तो बुलेटप्रूफ जैकेट पहने एक हेड कांस्टेबल को गोली मार दी. इस शख्स के बयान ने कोर्ट को भी झंकझोर कर रख दिया है.

अदालत ने कमजोरों के पक्ष में कही बड़ी बात

वहीं इस मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रणय कुमार जोशी ने अमेरिकी लेखक विल डुरंट की पुस्तक, द प्लेजर ऑफ फिलॉसफी के हवाले से कहा कि प्लेटो के गणराज्य ने घोषणा की थी कि न्याय केवल मजबूत लोगों का हित देखता है यह शायद सही है और यह कहा गया है कि 'अन्यायपूर्ण' वास्तव में सरल और न्यायपूर्ण है जबकि न्याय मजबूत की तुलना में हार जाता है. कोर्ट ने अंग्रेजी जज लॉर्ड डेनिंग के उद्धरण, 'बी यू एवर सो हाई, लॉ इज इज यू ऊपर' का हवाला देते हुए कहा कि ज्ञान के इन शब्दों को अक्सर सतर्कता न्याय देने के जुनून और उत्साह के क्षणों में भुला दिया जाता है. अदालत ने कहा, "लेकिन अदालतों को इन कार्यकारी ज्यादतियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि कानून के शासन की लौ कभी शांत न हो."

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अदालत ने सत्र न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों से सहमति व्यक्त की कि शिकायतकर्ता और अधिकारियों की ताकत के बीच एक असमान समीकरण मौजूद है और कहा कि 'न केवल पुलिस द्वारा जांच वांछित है बल्कि एक शीर्ष पुलिस अधिकारी द्वारा जांच की तत्काल आवश्यकता है. निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने दूसरे जिले के डीसीपी रैंक के एक अधिकारी को घटना की जांच करने का आदेश दिया है.  अदालत ने संबंधित एसएचओ को प्राथमिकी दर्ज करने और मामले में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. अदालत ने यह भी कहा कि तत्काल मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में दिल्ली गवाह संरक्षण योजना, 2015 के तत्काल उपयोग की आवश्यकता है.

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