कौन हैं Devasahayam Pillai? वेटिकन ने इन्हें दिया है पहले भारतीय संत का दर्जा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 16, 2022, 01:28 PM IST

Devasahayam Pillai

Who was Devasahayam Pillai: देवसहायम पिल्लई का जन्म 23 अप्रैल सन् 1712 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में नीलकांत पिल्लई के रूप में हुआ था.

डीएनए हिंदी: 18वीं सदी में जन्मे देवसहायम पिल्लई को वेटिकन सिटी ने रविवार को संत घोषित किया. इसके बाद वह पहले ऐसे भारतीय बन गए हैं जिसे वेटिकन से संत की उपाधि मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संत पीटर्स बेसिलिका में फादर फ्रांसिस ने देवसहायम पिल्लई को संत घोषित किया है. इस दौरान दुनिया भर से ईसाई धर्म में विश्वास रखने वाले 50 हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे. वेटिकन सिटी ने देवसहायम के साथ अन्य 9 लोगों को भी संत की यह उपाधि दी है. जानते हैं कौन हैं देवसहायम पिल्लई.

तमिलनाडु में हुआ था जन्म
देवसहायम पिल्लई का जन्म 23 अप्रैल सन् 1712 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में नीलकांत पिल्लई के रूप में हुआ था. बताया जाता है कि युवावस्था में देवसहायम पिल्लई ने हिंदू धर्म त्याग कर ईसाई धर्म अपना लिया था. यह सन् 1745 की बात है. वह त्रावणकोर में मार्तंड वर्मा के दरबार में सेवा करते थे. इस दौरान एक डच नौसैनिक कमांडर से उनकी मुलाकात हुई थी. तब उन्होंने बपतिस्मा लिया और अपने लिए'लाजर' नाम चुना. लाजर का अर्थ होता है-'भगवान ही मेरी मदद हैं.'

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वेटिकन ने लगाए थे आरोप
सन् 2004 में तमिलनाडु बिशप्स काउंसिल और भारत के कैथोलिक बिशप्स के सम्मेलन में कोट्टार के सूबा की सिफारिश पर वेटिकन ने उन्हें 'धन्य' घोषित किया था. साल 2020 में वेटिकन ने उन्हें लेकर एक नोट भी जारी किया था. इस नोट में कहा गया था कि 'धर्म परिवर्तन के बाद उनके मूल धर्म के प्रमुखों ने उनके साथ अच्छा नहीं किया और उनके खिलाफ राजद्रोह और जासूसी के झूठे आरोप लगाए गए थे और उन्हें शाही प्रशासन में उनके पद से हटा दिया गया था'

गोली मारकर की गई थी हत्या 
14 जनवरी 1752 को अरलवैमोझी जंगल में सैनिकों द्वारा देवसहायम की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कहा जाता है कि सैनिक जंगल में देवसहायम को मारने गए थे, लेकिन वह उन पर गोली नहीं चला पाए थे. तब देवसहायम ने खुद उन सैनिकों से बंदूक ली उसे अपना आशीर्वाद स्पर्श दिया और सैनिकों को वापस की. इसके बाद सैनिकों ने उन्हें गोली मार दी. उन्हें व्यापक रूप से एक शहीद माना जाता है.

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