Dhananjay Singh Verdict: पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक अपनी धमक रखने वाले पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बड़ा झटका लगा है. जौनपुर की एडिशनल सेशन कोर्ट ने बाहुबली धनंजय सिंह और उनके दो साथियों को अपहरण व रंगदारी मामले में दोषी घोषित करने के बाद सजा सुना दी है. कोर्ट ने बुधवार को धनंजय सिंह को 7 साल कैद की सजा सुनाई है. धनंजय सिंह को मंगलवार को अदालत ने दोषी घोषित किया था और जेल भेज दिया था. बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में उन्हें सजा सुनाई है. इससे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए भी अयोग्य हो गए हैं यानी वे चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर नहीं उतर पाएंगे. हालांकि यदि उन्हें इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल जाती है तो वे चुनाव में उतर सकते हैं.
नमामि गंगे परियोजना के मैनेजर का किया था अपहरण
धनंजय सिंह को नमामि गंगे परियोजना के मैनेजर अभिनव सिंघल का अपहरण करने और रंगदारी मांगने के आरोप में सजा सुनाई गई है. मुजफ्फरनगर निवासी सिंघल ने 10 मई, 2020 को जौनपुर के लाइन बाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय को खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. इस केस में धनंजय के एक साथी विक्रम को भी सिंघल ने आरोपी बनाया था, जबकि दो अन्य व्यक्ति को अज्ञात बताया गया था. अभिनव का आरोप था कि विक्रम अपने दो साथियों के साथ उसका अपहरण करने के बाद उन्हें धनंजय सिंह के आवास पर ले गया, जहां धनंजय ने पिस्टल से धमकाते हुए और गालियां देते हुए उनसे रंगदारी मांगी थी. इस मामले में धनंजय सिंह को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत ले ली थी.
मंगलवार को अदालत ने माना था दोषी
इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम को एडिशनल सेशन जज शरद कुमार त्रिपाठी ने दोषी घोषित किया था. दोनों को जज ने जेल भेजते हुए बुधवार को सजा सुनाने की घोषणा की थी.
ऐसा रहा है धनंजय का राजनीतिक सफर
- धनंजय सिंह फिलहाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU के राष्ट्रीय महासचिव हैं.
- धनंजय ने पहली बार 2002 में चुनाव लड़ा था. वे रारी विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे थे.
- साल 2009 के लोकसभा चुनावों में धनंजय को बसपा ने जौनपुर से टिकट दिया था, जिसमें जीतकर वे सांसद बने थे.
- 2011 में बसपा अध्यक्ष मायावती ने विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था.
- साल 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उतरकर धनंजय को हार का सामना करना पड़ा था.
- धनंजय साल 2017 और 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल नहीं कर सके थे.
- धनंजय इस बार भी जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन JDU और BJP में सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हो सकी है.
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