भले ही वो पावरफुल और राजनीतिक परिवार से आती हैं लेकिन जब वह चुनावी मैदान में उतरीं और जनता की नेता बनने पहुंची तो उन्हें पता चला कि यह रास्ता इतना आसान नहीं है. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से कहा मैं नेता बनने नहीं आपकी बेटी बनने आई हूं. और उन्हें समस्तीपुर की जनता ने आशीर्वाद दे दिया है. वह कहती हैं कि जब हम सदन में जाएंगे तो हम दलित, युवा और महिला की आवाज बन कर उनके अधिकार की मांग तो जरूर करेंगे. मैं फॉर्चूनेट हूं कि सदन तक पहुंच पाई लेकिन हजारों लाखों दलित महिलाएं कभी अपना अधिकार तक नहीं मांग पाती हूं.मुझे उनकी आवाज बनना है.
समस्तीपुर से नवनिर्वाचित एलजेपी रामविलास से सांसद शांभवी चौधरी ने डीएनए हिंदी से विशेष बातचीत की.
शांभवी कहती हैं , 'बिहार में सेकेंड लारजेस्ट मार्जिन से हमारी जीत हुई है तो मैं यह अब कह सकती हूं कि समस्तीपुर ने हमें अपनी बेटी मान लिया है.'
सांसद आगे कहती हैं कि इस जीत से बहुत प्रेशर महसूस हो रहा है. क्योंकि मेरी आदत है कि मैंने जो बात कही है उसे पूरा करूंगी और जब हमारे क्षेत्र के लोगों ने मुझे इतनी बड़ी जीत दी है तो मुझे उनसे किए सारे वादे भी पूरे करने हैं.
वह आगे कहती हैं कि, 'जब हम समस्तीपुर गए तो सिर्फ शांभवी थे लेकिन जब हम वहां से निकले तो सांसद बन कर निकले. मैं अपने प्रदेश के वासियों को निराश तो नहीं कर सकती. अब जो भी करना पड़े लेकिन हम अपनी जनता महिला और दलितों के आवाज बनेंगे और सदन में उनके मुद्दे उठाएंगे.'
'अब जब यहां तक पहुंच गए हैं तो हम हर परिस्थिति का सामना कर सकते हैं.जब जनता का इतना साथ है तो मुझे कोई नहीं हरा पाएगा.'
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युवा मतलब फ्रेश एयर
शांभवी मानती है कि किसी भी काम और जिम्मेदारी को निभाने के लिए उम्र नहीं नीयत मायने रखती है. वह कहती हैं कि मेरे पास कोई बैगेज नहीं है इसलिए हम लंबी पारी खेलेंगे और लंबे समय तक जनता के साथ जुड़े रहेंगे और काम करेंगे.
'मुझे यह फायदा होगा कि मेरी उम्र कम है और मुझमें एनर्जी ज्यादा है. मैं सुबह से रात तक बिना थके लोगों से न केवल मिल सकती हूं बल्कि उनके साथ काम कर सकती हूं.'
वह आगे कहती हैं, 'यह साइंटिफिक फैक्ट है कि य़ुवाओं में ज्यादा एनर्जी होती है और वो ज्यादा मॉर्डन तकनीक के साथ काम करते हैं. और उनके पास सोच का फ्रेश एयर होता है.'
पार्टी से अलग भी बनाया घोषणा पत्र
समस्तीपुर को वर्ल्ड क्लास सिटी और सारी सुविधाओं से लैस कराने के लिए एक रौडमैप भी तैयार किया गया है. यही नहीं शांभवी ने अपने क्षेत्र के लोगों के लिए घोषणापत्र भी बनाया है. जहां सभी प्रखंड के लोगों से पूछकर उनकी बातों और मांग के हिसाब विकास का काम किया जाएगा. पुल, पुलिया, कनेक्टीविटी, शिक्षा, चिकित्सा प्राथमिकता है.
अपने संसदीय क्षेत्र में सबसे पिछड़े क्षेत्र कुशेश्वर स्थान में लड़कियों के लिए कॉलेज तक नहीं है. बाढ़ आ जाए तो पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. किसी भी स्थान को मॉर्डन बनाना है तो इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़क दोनों बहुत जरूरी है.
काम शुरू हो गया है. हमने संसदीय क्षेत्र में अपना कार्यालय खोल दिया है. जहां हर किसी की समस्या को सुना जाएगा और उनकी मांग राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक पहुंचाई जाएगी.
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हमारे क्षेत्र को हायर एजुकेशन की जरूरत
बिहार में काफी बदलाव हुआ है. पिछले अगर महज दस साल की बात करें तो पटना तो बहुत आगे बढ़ चुका है लेकिन बिहार के कई ऐसे जिले और शहर हैं जिसे विकास की जरूरत है. हायर एजुकेशन, टेक्निकल एजुकेशन मिसिंग है..बिहार में हम उसपर काम कर रहे हैं. महिलाएं हायर एजूकेशन नहीं ले पाती हैं. पॉलिटेक्निक के कॉलेज खोलेंगे. डिग्री कॉलेज खोलने की जरूरत है. एफोर्ड कर पाते हैं उनके बच्चे बाहर चले जाते हैं लेकिन जो पैरेंट्स एफोर्ड नहीं कर पाते हैं वो ड्रॉप कर देते हैं.
राजनीति विरासत में मिली
जदयू से विधायक और नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की सबसे बड़ी बेटी शांभवी पापा की दुलारी हैं. राजनीति के गुण पापा से ही सीखे हैं. उन्होंने बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल के बेटे सायण कुणाल से लव मैरिज की है. सायण जाति से भूमिहार हैं और उनके चिराग पासवान से करीबी रिश्ते हैं.
किशोर कुणाल अपनी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के कारण बिहार में एक ख़ास पहचान बनाई है. वह पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर से सालों से जुड़े रहे हैं. मंदिर और अपने ट्रस्ट की मदद से पटना में कई अस्पतालों का संचालन भी करते हैं. और राम मंदिर निर्माण के दौरान उन्होंने ट्रस्ट को करोड़ो रुपये का दान दिया था.
शांभवी के दादा महावीर चौधरी कांग्रेस के बड़े नेता थे और 9 बार विधायक रहे थे. वे राज्य की कई सरकारों में मंत्री रहे. मई 2014 में उनका निधन हुआ.
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