DNA TV Show: सामान्य ज्ञान का एक छोटा सा सवाल, एंबुलेंस या मुख्यमंत्री का काफिला, किसका निकलना ज्यादा जरूरी?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 23, 2023, 12:00 AM IST

DNA TV Show 

DNA TV Show: एंबुलेंस में गंभीर हालत में मरीज है या किसी वीवीआईपी का काफिला जा रहा है तो किसे ठहरना चाहिए. आज इसी सवाल का डीएनए कर रही ये रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी: Nitish Kumar News- सोशल मीडिया पर एक घटना ऐसी बहस का कारण बनी है, जो शायद सामान्य ज्ञान का बेहद अहम सवाल भी है. ये घटना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले के लिए एक ऐसी एंबुलेंस को रोक दिया जाना, जिसमें ब्रेन हैमरेज की मरीज जिंदगी-मौत से जूझ रही थी. आज DNA के अपने इस विश्लेषण में हम इसी घटना से जुड़े सामान्य ज्ञान के एक छोटे से सवाल पर बात करेंगे. सवाल ये है कि अगर किसी चौराहे पर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की गाड़ी, पुलिस कार और किसी मंत्री की गाड़ी एक साथ खड़ी हों, तो सबसे पहले किसे जाने की permission मिलनी चाहिए? दरअसल ये सभी emergency vehicle हैं और इस लिहाज से देखें तो सभी का वक्त पर पहुंचना बेहद जरूरी है. 

ऐसे मामलों में आम तौर पर हालात की गंभीरता को देखा जाता है. अगर कोई law and order की गंभीर स्थिति है, जहां पुलिस का तुरंत पहुंचना जरूरी है तो पहले पुलिस कार को गुज़रने की मंज़ूरी दी जानी चाहिए. इसी तरह अगर कहीं Fire brigade की गाड़ी का तुरंत पहुंचना ज़रूरी है, तो उसे ही पहले जाने देना चाहिए और अगर कोई Medical Emergency है तो प्राथमिकता Ambulance को मिलनी चाहिए. सरकारी काफ़िले या मंत्री के क़ाफिले का नंबर सबसे अंत में ही आएगा. वैसे हमारे देश में आम तौर पर Ambulance को ही सबसे पहले रास्ता दिया जाता है, ताकि किसी की जान बचाई जा सके. लेकिन ये नियम आम लोगों के लिए होते हैं, नेताओं और मंत्रियों के लिए नहीं. इसी का उदाहरण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सासाराम में सड़क से गुजर रहा काफिला बना है, जिसे पास कराने के लिए पुलिस ने Ambulance को ही रोक दिया, जबकि उसमें गंभीर रूप से बीमार एक महिला अस्पताल जा रही थी.

सोमवार को हुई थी ये घटना

बिहार के सीएम नीतीश कुमार इन दिनों समाधान यात्रा पर हैं. इस दौरान वो बिहार के अलग अलग ज़िलों का दौरा कर रहे हैं, अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे हैं और सरकारी कार्यों का जायज़ा ले रहे हैं. ऐसे ही एक दौरे के दौरान नीतीश कुमार कल यानी सोमवार को सासाराम पहुंचे थे. उनके दौरे को लेकर वहां सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे. उनका क़ाफ़िला बिना किसी रुकावट के गुज़र सके, इसके लिए सासाराम-आरा रोड को मोकर नाम की एक जगह के पास बंद कर दिया गया. जब तक सीएम नीतीश कुमार का क़ाफ़िला वहां से नहीं गुज़रा, तब तक ये रास्ता बंद रहा.

बताया गया कि इस दौरान एक एंबुलेंस भी जाम में फंस गई. जानकारी के अनुसार, ये Ambulance गंभीर रूप से बीमार एक महिला को अस्पताल ले जा रही थी. इस महिला को brain hemorrhage हुआ था और उसके लिए एक एक पल क़ीमती था, लेकिन CM की सुरक्षा में लगे अधिकारियों के लिए उस महिला की जान से CM ज्यादा जरूरी थे. इसीलिए पुलिस ने Ambulance को तब तक आगे नहीं जाने दिया, जब तक सीएम का काफ़िला सायरन बजाते हुए वहां से नहीं गुज़र गया. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लोग कह रहे हैं कि सीएम का काफ़िला जा रहा है, इसलिए एंबुलेंस रोक दी, ज़रा भी इंसानियत नहीं है.

क्या कहते हैं हमारे ट्रैफिक नियम

हालांकि ट्रैफिक नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी VVIP Protocol के लिए Ambulance या दूसरे emergency vehicle नहीं रोके जा सकते. अगर एम्बुलेंस में कोई मरीज है तो उसे रास्ता दिलाना पुलिस की प्राथमिकता होगी, लेकिन इसके बावजूद बिहार पुलिस ने ऐसा नहीं किया. ऐसा भी नहीं है कि पुलिस को ये नियम पता नहीं होंगे, लेकिन उसके लिए सीएम का काफ़िला प्राथमिकता थी, Ambulance नहीं. वीडियो सामने आने के बाद इस मामले पर Politics शुरू हो गई है. एकतरफ JDU सफाई दे रही है, तो वहीं दूसरी तरफ़ BJP और दूसरी विपक्षी पार्टियां CM नीतीश कुमार पर निशाना साध रही हैं.

एंबुलेंस लेट होने से एक साल में 15 हजार से ज्यादा मौत

आम आदमी के लिए कानून, VVIP पूरी तरह सेफ

ये कानून शायद सड़क पर चलने वाले आम लोगों के लिए हैं, नेताओं और VVIP लोगों के लिए नहीं. वैसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या उनके क़ाफ़िले के लिए एम्बुलेंस रोकने वाले पुलिसवालों पर कौन ज़ुर्माना लगाएगा और कौन सज़ा सुनाएगा?

नीतीश के काफिले के लिए रोकी जा चुकी है ट्रेन भी

वैसे बिहार में VVIP मूवमेंट के लिए Ambulance रोकने की घटनाएं नई नहीं हैं. Ambulance ही नहीं कुछ महीने पहले नीतीश कुमार के ही क़ाफ़िले के लिए ट्रेन तक रुकवा दी गई थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसी वर्ष जनवरी में सीएम नीतीश कुमार के बक्सर दौरे के दौरान दो ट्रेनों को इसलिए रोक दिया गया था, ताकि नीतीश कुमार को रेलवे क्रॉसिंग पर न रुकना पड़े. जानकारी के अनुसार, जिस वक्त CM के काफ़िले को रेलवे क्रॉसिंग से गुज़रना था, ठीक उसी वक़्त पटना-बक्सर पैसेंजर ट्रेन और कामाख्या-दिल्ली superfast express को भी निकलना था. CM का काफ़िला गुज़र सके, इसके लिए दोनों ट्रेनों को स्टेशन के Outer पर ही रोक दिया गया और जब तक काफिला नहीं गुजरा दोनों ट्रेनें वहीं खड़ी रहीं.

नीतीश ने दिए थे जानकारी नहीं मिलने के तर्क

ट्रेनों को रोकने की घटना को लेकर भी नीतीश कुमार पर कई सवाल उठाए गए थे. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने तो केंद्र सरकार से इस मामले की जांच कराने की भी मांग की थी. हालांकि सीएम नीतीश कुमार ने इस घटना पर सफ़ाई भी दी थी और कहा था कि उन्हे पता ही नहीं चला कि उनके क़ाफिले के लिए ट्रेन रोकी गई है. हो सकता है कि नीतीश को Ambulance रोके जाने का भी पता न चला हो. हो सकता है कि अगर उन्हे एम्बुलेंस रोके जाने का पता चलता तो, वो ख़ुद उसे रास्ता दिलवाने की पहल करते. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसकी वजह है VIP culture. वो VIP culture जो आम आदमी के लिए मुसीबत बन जाता है और कई बार तो उसकी जान पर भी बन आती है. सभी सरकारें कई बार इस VIP culture पर लगाम लगाने की बात करती हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.

पीएम मोदी ने पेश किया था उदाहरण

वैसे आज आपको कुछ दूसरी तस्वीरें भी जरूर देखनी चाहिएं. पहली तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़ाफ़िले की है, जहां हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एंबुलेंस की वजह से उनके काफिले को रोक दिया गया था और उनका काफिला तब तक रुका रहा था, जब तक कि एंबुलेंस वहां से गुजर नहीं गई थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी कुछ वक्त पहले रास्ते से गुज़र रहे थे और वहां जब उन्हे एक ख़राब एम्बुलेंस दिखाई दी. उन्होंने न केवल अपना काफिला रुकवाया, बल्कि एंबुलेंस में सवार मरीज़ को अस्पताल भी भिजवाया.

आप जरूर दें एंबुलेंस को रास्ता

ये तस्वीरें हमने आपको इसलिए दिखाई, ताकि आप समझ सकें कि अगर बात किसी की जान की हो तो प्रधानमंत्री का काफिला भी रोका जा सकता है. और हमारी आपसे भी यही अपील है कि अगर आपको भी रास्ते में एंबुलेंस जाती हुई दिखे, तो आप उसे रास्ता ज़रूर दें, क्योंकि आपका छोटा सा ये प्रयास किसी की जान बचा सकता है.

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