Education Policy: “भारत की शिक्षा नीति के ज़रिये होगा भारतीय भाषाओं का विकास”- शिक्षाविद अतुल कोठारी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 24, 2022, 06:43 PM IST

शिक्षाविद अतुल कोठारी कहते हैं भारतीय भाषाओं के विकास के संदर्भ में सबसे आवश्यक शिक्षा नीति है. इस पर हर स्तर पर काम किए जाने की ज़रूरत है.

डीएनए हिंदी : जाने माने शिक्षाविद और शिक्षा संस्कृति न्यास के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कोठारी का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का  मातृभाषा और भारतीय भाषाओं के संबंध में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा नीति का उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो विचार से, व्यावहारिकता तथा कार्य व्यवहार से भारतीय बनें. यह सबसे ज़रूरी चीज़ है.

श्री कोठारी ने अपना यह मंतव्य डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज(सांध्य) में मातृभाषा दिवस पर दिए गए एक व्याख्यान के दौरान रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय(Delhi University) के इस महाविद्यालय में इस अवसर पर अनेक व्याख्यानों का आयोजन किया गया था. श्री अतुल कोठारी भी बतौर वक्ता आमंत्रित थे.

 मेडिकल और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम भी हिंदी में

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर सरकार के काम को इंगित करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार करने का काम चल रहा है. मेडिकल और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को हिंदी में करने के बाबत उन्होंने जानकारी दी कि बनारस आईआईटी (IIT BHU) में हिंदी में पाठ्यक्रम तैयार करने का काम चल रहा है. त्रिपुरा में भी वहां की भाषा में पाठ्यक्रम तैयार करने का काम जारी है.

मध्य प्रदेश सरकार(MP Government) ने भी चिकित्सा/मेडिकल का पाठ्यक्रम भारतीय भाषा में पाठ्यक्रम तैयार करवाने का काम शुरु कर दिया है. इसका लाभ समाज के हाशिए के लोगों को होगा. वे भी उच्च शिक्षा का लाभ ले पाएंगे.

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भारतीय भाषाओं में शोध और अनुवाद की ज़रूरत

भारतीय भाषाओं में शोध की आवश्यकता पर बल देते हुए और इस सम्बन्ध में वर्तमान सरकारी नीतियों के विषय में सूचित करते हुए उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान की स्थापना भी की गई है. इसमें अपनी भाषा में शोध करने को प्रमुखता दी जाएगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने इस बात की अनुमति दे दी है.

इसके साथ ही भारतीय भाषाओं में बेहतरीन वैश्विक जानकारियों को उपलब्ध करवाने के लिए राष्ट्रीय अनुवाद संस्थान की स्थापना की बात भी की. उन्होंने बताया कि देश के भिन्न  विश्वविद्यालयों में अनुवाद विभाग की स्थापना की बात की गई है. अंग्रेज़ी के अलावा जिन अलग-अलग भाषाओं में ज्ञान का जो सागर है उसको अनुवाद के माध्यम से अपनी भाषाओं में लाने की ज़रूरत है. लाखों पांडुलिपियां देश बाहर में बिखरी हुई हैं. विश्वविद्यालयों में इनके विभाग खोलकर इन पांडुलियों का अनुवाद भी होना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि मूल बात शिक्षा नीति को लागू करने की है. इस पर हर स्तर पर काम किए जाने की ज़रूरत है.


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