डीएनए हिंदी: World News in Hindi- भारत का दोस्त कहे जाने वाले खाड़ी देश कतर ने एक बड़ा झटका दिया है. कतर में पिछले 13 महीने से जासूसी के आरोप में जेल में बंद भारतीय नेवी के 8 पूर्व अफसरों को वहां की अदालत ने मौत की सजा सुना दी है. ये अधिकारी कतर की सेना को ट्रेनिंग देने वाली एक प्राइवेट कंपनी के लिए काम करने गए थे. कतर पुलिस ने इन सभी को इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसके बाद से ही इन अधिकारियों के मुद्दे पर भारत और कतर के बीच कूटनीतिक बातचीत चल रही थी, लेकिन अब कतर की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी है. विदेश मंत्रालय ने मौत की सजा के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा है कि हम इससे स्तब्ध हैं. हमें विस्तृत फैसले का इंतजार है. इसके बाद भारत सरकार इस फैसले को कतर के अधिकारियों के सामने चुनौती देगी.
क्या बताया है विदेश मंत्रालय ने
ANI के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि कतर में भारतीय नेवी के 8 पूर्व अफसरों को वहां की अदालत ने जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुना दी है. हम उनके परिवार और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. हम इस मामले को अहम मानते हुए बारीकी से नजर रख रहे हैं. उनकी सजा खारिज कराने के कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं. विस्तृत फैसला मिलने पर यह मुद्दा हम कतर के अधिकारियों के सामने उठाएंगे. इन अफसरों को कतर स्थित भारतीय दूतावास के जरिये कौंसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखा जाएगा. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस केस की कार्यवाही सीक्रेट होने के कारण इस पर कमेंट करना ठीक नहीं होगा.
इन पूर्व अफसरों को सुनाई गई है सजा
कतर की कोर्ट ने जिन पूर्व अफसरों को सजा सुनाई है, उनके नाम कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश है. ये सभी कतर में निजी कंपनी डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसलटेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे, जो कतर की सेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं देती है.
भारतीय नेवी में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं सभी अफसर
कतर में मौत की सजा पाने वाले आठों अफसर भारतीय नेवी में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं. ये भारतीय युद्धपोतों की भी कमान संभाल चुके हैं. इन सभी पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है. इन सभी को पिछले साल सितंबर में कतर में उनके घरों से गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उन्हें जमानत भी नहीं दी गई थी. हर बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
ISI ने तो नहीं रची कुलभूषण जाधव केस की तरह साजिश?
कतर में भारतीय नेवी के पूर्व अफसरों पर लगे आरोपों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की साजिश माना जा रहा है, जो पहले इसी तरह भारतीय नेवी के ही एक पूर्व अफसर कुलभूषण जाधव को भी फंसा चुकी है. नेवी छोड़ने के बाद बिजनेस कर रहे जाधव का ISI ने 2016 में ईरान के चाबहार इलाके से अपहरण किया था, लेकिन कागजों में उसे कराची से गिरफ्तार दिखाया गया था. इसके बाद तुरत-फुरत में जाधव को जासूस घोषित करते हुए फांसी की सजा सुना दी गई थी. हालांकि भारत सरकार ने सख्त रुख दिखाते हुए इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट में उठाया था. इंटरनेशनल कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद अब तक जाधव की फांसी की सजा टली हुई है.
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