डीएनए हिंदी: निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने सोमवार को पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त 111 राजनीतिक दलों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है. आयोग ने इन पार्टियों को गैर-मान्यता प्राप्त दलों की सूची से बाहर कर दिया है. इस सूची में उन राजीनितिक दलों का नाम भी शामिल है जिन्होंने 2019 का चुनाव भी नहीं लड़ा था लेकिन उसके बावजूद उन्होंने करोड़ों रुपये की टैक्स छूट हासिल की थी.
निर्वाचन आयोग ने इन 111 राजनीतिक दलों में से तीन के खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश राजस्व विभाग से की है. बताया जा रहा है कि इनके खिलाफ आपराधिक कारनामों के सबूत आयोग को मिले हैं. इससे पहले आयोग ने नियमों का उल्लंघन करने वाले 2,100 से अधिक पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों के खिलाफ कार्रवाई की शुरूआत की थी.
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IT को भेजी 2,351 पार्टियों की सूची
इसके इलावा निर्वाचन आयोग ने 2017 से अपने आय व्यय और चंदे का हिसाब किताब नहीं देने वाले 2,351 राजनीतिक दलों की सूची आयकर विभाग को सौंपी है. ताकि इनकी ब्लैक मनी का पता लगाया जा सके.
66 दलों के खिलाफ आयोग ने भेजा नोटिस
बता दें कि पिछले महीने राजीव कुमार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था. उन्होंने पद भार संभालते ही 'सुधार अभियान' शुरू कर दिया था. आयोग ने 25 मई को गैर मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड पार्टियों के खिलाफ सफाई मुहिम शुरू करते हुए ऐसी 66 दलों के खिलाफ नोटिस भेजा था. इन दलों की 2020 में आयकर घोषणा में गड़बड़ी की शिकायतें सही पाई गई थीं.
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मात्र 623 पार्टियों ने लड़ा 2019 का चुनाव
देश में फिलहाल 2,796 रजिस्टर्ड गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक, 2019 के आम चुनाव के समय देश में कुल 2,354 रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां थीं लेकिन इनमें से मात्र 623 पार्टियों ने ही 2019 का चुनाव लड़ा था. इनमें से 1,731 के करीब ऐसे दल थे जिन्होंने एक भी सीट से चुनाव नहीं लड़ा था. वहीं जिन पार्टियों ने चुनाव लड़ा भी तो उन्होंने चुनावी खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को नहीं दिया.
90 दिन के अंदर बताना होता है चुनावी खर्च
गौरतलब है कि चुनाव खत्म होने के 90 दिन के अंदर सभी दलों को चुनावी खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना होता है.ऐसा नहीं करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ आयोग कार्रवाई कर सकता है.
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