डीएनए हिंदी: Delhi G-20 Summit News- यदि आप दिल्ली से न्यूयॉर्क, दुबई या यूरोप के किसी शहर में जाना चाहें तो आपको इसके लिए हवाई जहाज का टिकट खरीदना पड़ता है, लेकिन जल्द ही आप महज एक रेल टिकट खरीदकर यह सफर कर पाएंगे. दरअसल अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया को रेल ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर व शिपिंग कॉरिडोर के जरिये आपस में जोड़ने की योजना है. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक, इस कॉरिडोर को तैयार करने की डील पर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, यूएई, यूरोपियन यूनियन और अन्य जी20 देशों के बीच बात हुई है, जिसकी घोषणा दिल्ली में चल रहे G-20 Summit से इतर की जा सकती है. इस कॉरिडोर को तैयार करने का मकसद पूरे मध्य एशिया से यूरोप तक भारत से होने वाले कॉमर्स, एनर्जी और डेटा फ्लो में मदद करना है.
जी-20 सम्मेलन के पहले सत्र का नाम ही था 'वन अर्थ'
दिल्ली में चल रहे जी-20 सम्मेलन के शनिवार को आयोजित पहले सत्र का नाम ही 'वन अर्थ' यानी एक धरती रखा गया था. इस सत्र का मकसद पूरी दुनिया को अलग-अलग देशों की तरह देखने के बजाय एकजुट तरीके से देखने और उसी तरह से योजनाएं बनाने की तैयारी करना है. ऐसे में रेल और शिपिंग कॉरिडोर भी इसी मकसद का एक हिस्सा दिखाई देता है.
सम्मेलन के दौरान MoU की हो सकती है घोषणा
व्हाइट हाउस के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जॉन फाइनर के मुताबिक, आपस में रेल और शिपिंग कॉरिडोर के जरिये कनेक्टिविटी पैदा करने को लेकर सभी देश उत्साहित हैं. इसके लिए शनिवार को ही जी-20 से इतर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस एक मीटिंग में मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा हो सकती है. इस मीटिंग में वैश्विक अर्थव्यवस्था और सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों पर बात की जाएगी. साथ ही वैश्विक समुदाय के सामने आ रहे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होगी.
सप्लाई चेन का विकल्प बनेगा ये कॉरिडोर
रेल और शिपिंग कॉरिडोर के लिए MoU पर हस्ताक्षर होने के बाद यह कोरोना महामारी के बाद की वैश्विक व्यवस्था में वैकल्पिक सप्लाई चेन को तौर पर देखा जाएगा. फाइनर ने कहा कि राष्ट्रपति बिडेन और प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को ही सम्मेलन के बाद ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस एक प्रोग्राम के लिए अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे.
गरीब देशों को फायदा देगी ये डील
फाइनर ने दावा किया कि यदि यह डील होती है तो इससे क्षेत्र के कम व मध्य आय वाले गरीब देशों को लाभ होगा. साथ ही इससे मध्य पूर्व देशों को ग्लोबल व्यापार में एक अहम भूमिका मिलेगी. उन्होंने कहा, यह महज एक रेलवे प्रोजेक्ट नहीं है. यह शिपिंग और रेलवे प्रोजेक्ट है. लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह कितना व्यापक, महत्वाकांक्षी और अभूतपूर्व होगा. फाइनर ने इसे वंचितों की सेवा करने वाला प्रोजेक्ट बताया है.
कैसे जुड़ेगा भारत से यह कॉरिडोर
फाइनर ने बताया कि इस इंफ्रास्ट्रक्चर डील के तहत मध्य पूर्वी एशिया के देशों को यूरोप व अमेरिका से रेलवे नेटवर्क के जरिये जोड़ा जाएगा. इसके बाद ये देश बंदरगाहों पर शिपिंग लेन के जरिये भारत से भी जुड़ जाएंगे. इस तरह पूरे कॉरिडोर का सेंट्रल पॉइंट मध्य पूर्व एशिया के देश बनेंगे.
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