डीएनए हिंदी: गाजियाबाद पुलिस ने ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming Jihad) के जरिए नाबालिगों को जाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया था. अब इस केस के मुख्य आरोपी शाहनवाज खान उर्फ बद्दो (Gaming Jihad Shahnawaz Khan Baddo) को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले से गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी मुख्य रूप से ठाणे का रहने वाला बताया जा रहा है. इस केस में पहले ही पुलिस इलाके की एक मस्जिद के मौलवी को गिरफ्तार कर चुकी है.
बता दें कि एक नाबालिग बच्चे को ऑनलाइन गेमिंग में जीतने का लालच देकर आरोपियों ने उसका धर्मपरिवर्तन करा दिया था. बच्चे के परिजनों को इस बात का पता तब चला था जब उसके पिता ने बेटे का पीछा किया, तो पाया कि वह एक मस्जिद में नमाज पढ़ने गया था. पिता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की थी जिसमें इस वर्चुअल धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था.
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कैसे गिरफ्तार हुआ गेमिंग जिहाद का मास्टरमाइंड
गेमिंग जिहाद के मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि पिछले कई दिनों से अलीबाग और मुंब्रा पुलिस ज्वाइंट ऑपरेशन के तहत शाहनवाज की तलाश कर रही थी. आरोपी बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहा था. पुलिस उसके रिश्तेदारों से पूछताछ कर रही थी जिसमें पता चला था कि आरोपी मुंबई के वर्ली में छुपा है. बाद में वह रायगढ़ के अलीबाग में भाग गया था. पुलिस ने यहां उसे एक लॉउंज से दबोच लिया.
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साजिश का किया खुलासा
पुलिस की पूछताछ में मुख्य आरोपी बद्दो ने बताया कि फोर्टनाईट गेमिंग ऐप के जरिये साल 2021 में उसकी पहचान नाबालिग बच्चे से हुई थी. इसके बाद एक-दूसरे से बात करने के लिए Discord का इस्तेमाल करने लगे फिर फोन पर भी बात करने लगे थे. उसने बताया कि दोनों ने फोर्टनाईट पर गेम खेलना बंद कर दिया. साल 2021 के दिसंबर में दोनों ने Valorant गेम के जरिये फिर गेम खेलना शुरू किया.
नमाज पढ़ने का सजेशन देकर जितवाते थे गेम
बद्दो ने बताया कि डिस्कोड ऐप पर शाहनवाज की अच्छी रैंकिंग से आकर्षित होकर लड़के उससे चैट करते थे. इसी दौरान वो लड़कों को बरगलाता था और चैट में ही इस्लाम धर्म से जुड़ने के फायदे बताकर उन्हें फंसाने का प्लान बनाता था. उसने बताया कि कि गेम हारने के बाद बच्चों से कहा जाता था कि वो कुरान की आयत पढ़ें तो जीतने लगेंगे. इसके बाद जब बच्चा आयत पढ़कर गेम खेलता तो साजिश के तहत उसे जितवाया जाता था जिससे उसका इस्लाम की ओर झुकाव ज्यादा होने लगे.
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जाकिर नाईक के दिखाते थे वीडियो
इसके बाद बच्चों से 'Discord' ऐप के जरिए चैटिंग की जाती थी और बच्चे का भरोसा जीतकर उनको इस्लाम की जानकारी दी जाती थी. इस दौरान बच्चों को जाकिर नाईक से लेकर तारिक जमील के कट्टरपंथी वीडियो भी दिखाए जाते थे और फिर जब बच्चे इस्लाम अपनाने के लिए तैयार हो जाते थे तो उनका एफिडेविट बनवा दिया जाता था. गाजियाबाद के इस केस में स्थानीय इलाके का एक मौलवी भी बद्दो के साथ शामिल था.
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