Gateway of India: गेटवे ऑफ इंडिया की सतह पर आई दरारें, 99 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत की मरम्मत के लिए क्या है सरकार का प्लान

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 04, 2023, 03:21 PM IST

Gateway of India

Gateway of India Renovation को लेकर केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने संसद में जानकारी दी है और बताया है कि इमारत को क्या क्षति पहुंची है.

डीएनए हिंदी: 99 साल पुरानी देश की ऐतिहासिक इमारत गेटवे ऑफ इंडिया को लेकर एक डराने वाला खुलासा हुआ है जिसमें बताया गया है कि इमारत की सतह पर दरारें आ गई हैं. इमारत के कई हिस्सों में तो छोटे-छोटे पौधे भी उगने लगे हैं. इसको लेकर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने बताया है कि इमारत की मरम्मत के लिए योजना तैयार की गई है और इसमें करीब 8,98,29,574 रुपये खर्च होंगे.

दरसअल, गेटवे ऑफ इंडिया को लेकर केंद्रीय मंत्री से संसद में सवाल पूछा गया था कि क्या हाल ही में गेटवे ऑफ इंडिया के स्ट्रक्चरल ऑडिट में सामने के हिस्से में दरार का पता चला है. इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, "गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई, एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक नहीं है. यह पुरातत्व और संग्रहालय विभाग, महाराष्ट्र सरकार के संरक्षण में है. निरीक्षण के दौरान सतह पर कुछ दरारें पाई गईं. समग्र संरचना संरक्षण की अच्छी स्थिति में पाई गई.”

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कब शुरू होगा मरम्मत का काम

गौरतलब है कि महाराष्‍ट्र के पुरा‍‍तत्व विभाग ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि इमारत समय के साथ-साथ कमजोर होती जा रही है. इस रिपोर्ट में यह तक कहा गया है कि गेटवे ऑफ इंडिया समंदर के तूफान की मार झेल पाने में सक्षम नहीं है. विभाग ने महाराष्ट्र सरकार से गेटवे ऑफ इंडिया की मरम्मत के लिए आग्रह किया था. 

इस मामले में महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने आश्वासन दिया था कि गेटवे ऑफ इंडिया की मरम्मत के लिए करीब 8 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया है और जैसे ही यह प्रस्ताव पास होगा वैसे ही मरम्मत का काम शुरू हो जाएगा.

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रोचक है गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास

बता दें कि इंडो-सरसेनिक शैली में बने गेटवे ऑफ इंडिया को 20वीं शताब्दी में मुंबई में समंदर के किनारे बनाया गया था. यह साल 1924 में बनकर तैयार हुआ था. जानकारी के मुताबिक इस इमारत को किंग जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी की भारत यात्रा के दौरान बनाया गया था. इस इमारत को मुंबई का ताज महल भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक अंग्रेजो की आखिरी टुकड़ी भी भारत की आजादी के समय इसी गेटवे ऑफ इंडिया से ही निकली थी.

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