गीतांजलि श्री के उपन्यास 'Tomb of Sand' को मिला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 04, 2022, 04:16 PM IST

गीतांजलि श्री हिंदी की जानी मानी उपन्यासकार हैं.

गीतांजलि श्री के उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है.

डीएनए हिंदी: गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) ने इतिहास रच दिया है. उन्हें अपनी किताब टॉम्ब ऑफ सैंड (Tomb of Sand) के लिए बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) दिया गया है. यह किताब दुनिया की उन 13 किताबों में शुमार थी जिसे बुकर प्राइज से नवाजा गया है.

गीतातंजलि श्री पहली भारतीय उपन्यासकार हैं जिन्हें इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है. उनकी किताब टॉम्ब ऑफ सैंड की कहानी में भारत के विभाजन की तस्वीर दिखती है. यह किताब हिंदी में रेत समाधि के नाम से प्रकाशित हुई थी.

यह एक अस्सी वर्ष की उम्र की महिला की कहानी है. यह किताब एक साधारण औरत में छिपी असाधारण स्त्री की महागाथा है. इस किताब में देश की परिस्थितियों और आम आदमी की मुश्किलों का चित्रण किया गया है. 

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बुकर जीतने के बाद गीतांजलि श्री ने क्या कहा?

बुकर पुरस्कार जीतने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा, 'मैंने कभी सोचा नहीं था कि बुकर मिलेगा. मुझे कभी नहीं लगता था कि मैं यह कर सकती हूं. कितनी बड़ी पहचान है. मैं आश्चर्यचकित हूं. पुरस्कार पाकर मुझे सम्मान की अनुभूति हो रही है.'

उन्होंने पुरस्कार जीतने के बाद कहा, 'मेरी जीत के पीछे समृद्ध हिंदी और दूसरी एशियन भाषाओं की समृद्ध परंपरा है. इन भाषाओं के लेखकों को जानकर विश्व साहित्य और समृद्ध होगा.'

कौन हैं गीतांजलि श्री?

गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था. उनकी उम्र 64 वर्ष है. वह 3 उपन्यास और दर्जनों कहानी संग्रह की लेखिका हैं. टॉम्ब ऑफ सैंड ब्रिटेन में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली किताब है. यह किताब रेत समाधिक के नाम से साल 2018 में प्रकाशित हुई थी.

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किस विषय पर है किताब?

यह एक मां की कहानी है जो अपने पति की मौत के बाद अवसाद में चली जाती है. तब वह पाकिस्तान की यात्रा करने का फैसला करती है. इस दौरान वह कई मानसिक यातनाओं से जूझती है.उसने विभाजन का बुरा दौर देखा है. गीतांजलि श्री की यह उपलब्धि हिंदी साहित्य के लिए गर्व का विषय है.

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Geetanjali Shree Tomb of Sand International Booker Prize