Gokulbhai Bhatt की 125 वीं जयंती विशेष: जानें कैसी राजस्थान के गांधी की जिंदगी

| Updated: Mar 01, 2022, 10:57 PM IST

गोकुलभाई भट्ट को राजस्थान का गांधी भी कहा जाता है. उनकी 125वीं जयंती पर राजस्थान सेवा समग्र के अनिल गोस्वामी ने लेख के जरिए श्रद्धांजलि दी है.

  • अनिल गोस्वामी

गोकुलभाई भट्ट राजस्थान के एक स्वतंत्रता सेनानी एवं कांग्रेस के नेता थे, वे राजस्थान के गांधी के रूप में लोकप्रिय हुए इसलिए उन्हें राजस्थान का गांधी माना जाता है. गोकुल भाई हाथल सिरोही राज्य तत्कालीन राजपुताना से थे। इनका जन्म 1897 मे शिवरात्रि के दिन हुआ था.

उन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में  आजादी की लड़ाई लड़ी क्रांतिकारी गोकुलभाई भट्ट पर वर्ष 1920 में ‘असहयोग आंदोलन’ के दौरान गांधीजी द्वारा की गई घोषणाओं का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार किया और आगे पढ़ने का विचार ही त्याग दिया. वह देश की आज़ादी में कूद पड़े. गोकुलभाई को पहली बार 6 अप्रैल, 1921 को बंबई सरकार ने गिरफ्तार किया. इसके बाद भी उन्होंने गांधीजी के हर आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया. वर्ष  1930 के ‘नमक सत्याग्रह’ के दौरान वह नमक कानून तोड़ने के सिलसिले में गिरफ्तार हुए. गोकुलभाई भट्ट जेल से रिहा होने के बाद भूमिगत रहे और आंदोलन में संलग्न रहे, जिसके कारण उन्हें पुन: गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्होंने वर्ष 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और 8 अगस्त, 1944 को बंबई में गिरफ्तार हुए तथा 4 साल जेल में रहे. 

वह एक कुशल वक्ता, कवि, बहुभाषाविद, पत्रकार और लेखक थे. इसके अलावा गोकुलभाई एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. वह भारत की संविधान सभा के सदस्य थे और बॉम्बे राज्य का प्रतिनिधित्व करते थे. गोकुलभाई भट्ट कुछ समय तक सिरोही रियासत के मुख्यमंत्री भी बने थे. उन्होंने राज्य में जल संरक्षण पर काफी जोर दिया और लोगों को जागरूक भी बनाया. राजस्थान में कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष भी रहे. उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. गोकुल भाई भट्ट का राजस्थान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा. उनके आंदोलनों के परिणामस्वरुप ही आबू पर्वत, सिरोही का हिस्सा राजस्थान को मिला, सन 1951 के बाद राजस्थान में गांधीजी के रचनात्मक कार्यों को बढ़ाने का बीड़ा उठाया, उन कामों को बढ़ाने के लिए गांधी जी की विचारधारा से जुड़े सभी लोगों को साथ लेकर राजस्थान समग्र सेवा संघ का गठन 1953 में किया. इसके माध्यम से प्रदेश में भूदान आंदोलन चलाया जिसमें 6 लाख बीघा से अधिक भूमि दान में प्राप्त कर भूमिहीनों में वितरित की एवं 315 ग्रामदानी गांव का निर्माण। किया उनके नेतृत्व में ही शराबबंदी आंदोलन भी चला जिससे प्रदेश में शराबबंदी कानून बना. 


सभी रचनात्मक कार्यों के विस्तार एवं गांधी विचार प्रशिक्षण के लिए मई 1959 में राजस्थान समग्र सेवा संघ के लिए दुर्गापुरा में भूमि खरीदी वहां से ही गांधी विचार के कार्यों  यथा नशाबंदी, खादी प्रोत्साहन, ग्राम स्वराज, कौमी एकता, बच्चों में गांधी विचार के बढ़ावे के लिए सर्वोदय परीक्षा, सर्वोदय प्रशिक्षण शिविर के आयोजन, संचालन और मानवाधिकार  प्रशिक्षण आदि का कार्य होता आ रहा है. इसी के साथ विभिन्न धर्मों के बीच साम्प्रदायिक सद्भाव बठानें के कार्य , दलित उत्थान से जुड़े कार्य, महिला सशक्तिकरण हेतु कार्य, जल, जंगल जमीन, मेहनतकश मजदूर, किसानों से जुड़ी समस्याओं,  शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जनसंघर्ष कर जनपक्षीय जनांदोलनों में राजस्थान सम्रग सेवा संघ सदैव अपना योगदान देता रहा है. लोकतंत्र को जब भी कमजोर करने का प्रयास हुआ तो 1975 में आपातकाल के समय भी अगुवा गोकुल भाई भट्ट के साथ राजस्थान सम्रग सेवा संघ के सर्वोदयी सिद्धराज ढड्ढा, जवाहर लाल जैन, सवाई सिंह, दशरथ कुमार, त्रिलोकचंद जैन, रूपलाल सोमानी, मनोहर सिंह मेहता सहित कई सर्वोदयी साथी जेल में गए. आपातकाल के समय मानवाधिकार के लिए देशभर में गठित पी यू सी एल संघठन की राजस्थान इकाई की स्थापना के लिए उस समय के पी यू सी एल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस वी एम तारकुंडे ने राजस्थान समग्र सेवा संघ कार्यालय में मीटिंग कर सिद्धराज ढड्ढा जी को राजस्थान पी यू सी एल का प्रथम प्रदेश अध्यक्ष बनाया. तब से राजस्थान समग्र सेवा संघ मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर भी निरंतर कार्य करता आ रहा है.

(अनिल गोस्वामी राजस्थान समग्र सेवा संघ से जुड़े हैं. उनका यह लेख यहां साभार प्रकाशित किया जा रहा है.)

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)