डीएनए हिंदी: राजस्थान में अब विशेष परिस्थितियों में जॉब छोड़ चुकीं महिलाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे. राज्य सरकार ने ऐसी महिलाओं के लिए 'बैक टू वर्क' योजना शुरू की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुसार, शादी के बाद घर-परिवार संभालने एवं अन्य कारणों से कामकाजी महिलाओं को कई बार जॉब छोड़ना पड़ता है.
नौकरी छोड़ने वाली इन कामकाजी महिलाओं को निजी क्षेत्र के सहयोग से फिर से जॉब या वर्क फ्रॉम होम का अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ‘बैक टू वर्क’ योजना लेकर आई है. इस योजना को मंजूरी दे दी गई है.
इन महिलाओं को मिलेगी प्राथमिकता
सरकार ने इस योजना के तहत आगामी 3 वर्षों में 15 हजार महिलाओं को निजी क्षेत्र के सहयोग से जॉब दिलाने का लक्ष्य तय किया है. विधवा, परित्यकता, तलाकशुदा एवं हिंसा से पीड़ित महिलाओं को इसमें प्राथमिकता दी जाएगी.
जो महिलाएं कार्यस्थल पर जाने में सक्षम नहीं होंगी, उन्हें 'वर्क फ्रॉम होम' का अवसर दिया जाएगा. रोजगार से जुड़ने की इच्छुक महिलाओं को सरकार ने महिला अधिकारिता निदेशालय एवं सीएसआर संस्था के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की सुविधा विकसित करने की तैयारी की है. इसके अलावा आरकेसीएल के माध्यम से स्किल ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
इस तरह कर सकेंगे आवेदन
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना के क्रियान्वयन के लिए सहयोगी संस्था/सीएसआर संस्था के पोर्टल या एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर पर महिलाओं से आवेदन लिए जाएंगे. ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर्ड महिलाओं को श्रेणीवार डाटाबेस के आधार पर निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ा जाएगा. सरकार की तरफ से ये कार्य सीएसआर संस्था द्वारा किया जाएगा.
इसी के साथ आवश्यकता होने पर सीएसआर संस्था द्वारा ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर्ड महिलाओं को री-स्किलिंग/अप-स्किलिंग के लिए प्रशिक्षण सुविधा भी दी जाएगी. जिसका अपडेशन पोर्टल पर किया जाएगा. योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मॉनिटरिंग कमेटी का गठन करना तय किया गया है.
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने बजट 2021-22 के वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान ‘बैक टू वर्क’ योजना शुरू करने की घोषणा की थी.