Gujarat Riots 2002: तीस्ता सीतलवाड़ और श्रीकुमार के बाद अब पूर्व IPS संजीव भट्ट गिरफ्तार

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 13, 2022, 03:05 PM IST

पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट (फाइल फोटो)

मामला राजस्थान के एक वकील को गलत तरीके से फंसाने से जुड़ा है. मुकदमे के दौरान पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को जामनगर में हिरासत में मौत के एक मामले में उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई.

डीएनए हिंदी: गुजरात पुलिस के विशेष जांच दल (SIT) ने 2002 के साम्प्रदायिक दंगों (Gujarat Riots 2002) से जुड़े एक मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पालनपुर जेल से गिरफ्तार किया है. एक अधिकारी ने बताया कि संजीव भट्ट को दंगों के संबंध में बेगुनाह लोगों को गलत तरीके से फंसाने की साजिश के एक मामले में 'स्थानांतरण वारंट' के जरिए गिरफ्तार किया गया है.

जांच एजेंसी किसी अन्य प्राथमिकी या मामले में जेल में बंद व्यक्ति को हिरासत में लेने से पहले स्थानांतरण वारंट लेती है. इसके बाद आरोपी की हिरासत जांच एजेंसी को देने के लिए वारंट को संबंधित जेल अधिकारियों के पास भेजा जाता है. सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के बाद इस मामले में गिरफ्तार संजीव भट्ट तीसरे आरोपी हैं. वह 27 साल पुराने एक मामले में 2018 से बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में बंद थे.

संजीव भट्ट पर एक वकील को गलत तरीके से फंसाने का आरोप
यह मामला राजस्थान के एक वकील को गलत तरीके से फंसाने से जुड़ा है. मुकदमे के दौरान पूर्व आईपीएस अधिकारी को जामनगर में हिरासत में मौत के एक मामले में उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई. अहमदाबाद अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त चैतन्य मांडलिक ने बाद में कहा, ‘हमने स्थानांतरण वारंट पर पालनपुर जेल से संजीव भट्ट को हिरासत में लिया और मंगलवार शाम को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया.’ 

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सुप्रीम कोर्ट ने SIT की क्लीन चिट को रखा था बरकरार
गुजरात सरकार ने 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों से संबंधित विभिन्न मामलों में झूठे सबूत के मामले में संजीव भट्ट, श्रीकुमार और सीतलवाड़ की भूमिकाओं की जांच के लिए पिछले महीने एसआईटी का गठन किया था और इसके सदस्यों में से एक मांडलिक भी हैं. अपराध शाखा ने पिछले महीने सीतलवाड़ और श्रीकुमार को गिरफ्तार किया था और वे अभी जेल में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2002 दंगा मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट बरकरार रखा था, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया. उन पर बेगुनाह लोगों को फंसाने की साजिश में जाली सबूत पेश करने की साजिश रचकर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप है.

(भाषा इनपुट के साथ))

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