डीएनए हिंदीः वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Case) में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) और वैज्ञानिक परीक्षण कराने की मांग को शुक्रवार को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच नहीं होगी. जिला अदालत के इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
दरअसल, हिंदू पक्ष की ओर से वाराणसी की सेशन कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की गई थी. हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से वादी मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू (वादी संख्या दो से पांच) के वकील हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने अदालत से कार्बन डेटिंग की मांग की. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आज खारिज कर दिया.
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'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा उल्लघंन'
कोर्ट ने कहा कि जांच के लिए अगर कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग किया गया तो उक्त कथित शिवलिंग को क्षति पहुंच सकती है और यह सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का उल्लघंन होगा. इससे अतिरिक्त ऐसा होने पर आम आदमी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है. जिला अदालत ने कहा कि भारतीय पुरातत्व को सर्वे का निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा. इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है.
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मई में हुआ था मस्जिद का सर्वे
बता दें कि कोर्ट के आदेश पर मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था. इस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने के बीच में एक कथित शिवलिंग मिला है. वहीं, मुस्लिम पक्ष उसे फब्वारा बता रहा है. हिंदू पक्ष की ओर से इसी शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराए जाने की मांग की गई है.
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