डीएनए हिंदी: ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Case) मामले में वाराणसी जिला कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया है. जिला कोर्ट के जज अजय कृष्ण विश्वेश ने श्रंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग करने वाली हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के लायक माना है.
जिला कोर्ट का फैसला हिंदू पक्ष के हक में आने के बाद अब मुस्लिम पक्ष इसे ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकता है. बताया जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष जिला अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.
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'सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जगी थी उम्मीद'
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी ने कहा कि पहले कोर्ट के फैसले को हम पढ़ेंगे इसके बाद आगे क्या करना है इसकी रणनीति तय करेंगे. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद पर फैसला सुनाते समय सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के वर्शिप एक्ट के बारे में जो कहा था, उससे उम्मीद जगी थी कि अब देश में मंदिर-मस्जिद पर विवाद नहीं होंगे लेकिन इस फैसले ने फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.
हालांकि, उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत भी किया. उन्होंने कहा कि हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं. हमारी लीगल टीम इस पर स्टडी करेगी और फिर आगे क्या कदम उठाना है, ये तय किया जाएगा.
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प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 नहीं होता लागू
बता दें कि जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 इस मामले में लागू नहीं होता है.पिछले साल अगस्त में 5 महिलाओं ने वाराणसी सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की अनुमति देने की मांग की थी. महिलाओं की याचिका पर सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे भी करवाया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये मामला सिविल जज की अदालत से जिला कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया था.
क्या है मामला?
जिला कोर्ट में 1991 में स्थानीय पुजारियों ने एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद एरिया में पूजा करने की इजाजत मांगी थी. इस याचिका में कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई थी. याचिकाकर्ताओं का दावा था कि औरंगजेब के आदेश पर मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं और उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा की इजाजत दी जाए.
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