Exclusive: अकेले 'विश्वनाथ' नहीं, शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान भी है ज्ञानवापी में मौजूद, देखें सबूत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 22, 2022, 10:33 AM IST

ज्ञानवापी पर देशभर में सुलगी है सियासत.

Gyanvapi row: ज्ञानवापी विवाद के बीच ज़ी न्यूज़ के हाथ एक प्रमाणिक दस्तावेज हाथ लगा है. क्या है दस्तावेज में खास, पढ़ें शिवांक मिश्रा की रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी: देशभर में ज्ञानवापी मस्जिद पर नई बहस छिड़ी है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह हिंदू मंदिर है, वहीं मुस्लिम पक्ष इसे मस्जिद बता रहा है. वाराणसी (Varanasi) के बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath) और ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Row) को लेकर ज़ी न्यूज़ (ZEE NEWS) के साथ अहम जानकारी हाथ लगी है.

ज़ी न्यूज़ को ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर की 154 वर्ष पुरानी दुर्लभ तस्वीर मिली है. यह ऐतिहासिक तस्वीर ज्ञानवापी की अलग ही तस्वीर बयां कर रही है. इसकी प्रमाणिकता भी संदेह के घेरे में नहीं है. यह तस्वीर साल 1868 में ब्रिटिश फोटोग्राफर सैमुअल बॉर्न ने ली थी.

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ज्ञानवापी में साक्षात विराजमान हनुमान

इस तस्वीर से साफ है कि मुस्लिम पक्ष जिस ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर अपना दावा करता है उसके इतर ये तस्वीर कुछ और कहानी बयान करती है. इस तस्वीर में ज्ञानवापी परिसर में बाबा के प्रमुख सेवक नंदी और भगवान हनुमान की मूर्ति के साथ ज्ञानवापी परिसर में मौजूद खम्बों पर हिन्दू शिल्पकृतियां और घण्टा लगा हुआ दिखाई दे रहा है. 

ज्ञानवापी में भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान जी भी विराजमान है. इस तरह से ये तस्वीर हिन्दू पक्ष के ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू प्रतीक चिन्हों और देवी-देवताओं की मूर्ति होने के दावों को और पुख्ता करती है. कहां से मिला ये ऐतिहासिक प्रमाण?

विवादित स्थल पर हिंदू पक्ष ने मां श्रृंगार गौरी की मौजूदगी के सबूत दिए हैं. हिंदू पक्ष की मांग है कि यहां साल भर मां की पूजा अर्चना के लिए इजाजत दी जाए. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. 

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ज़ी न्यूज़ के हाथ लगी इस तस्वीर के बारे में आपको बता दें कि हिन्दू पक्ष के दावों को मजबूत करने का यह सबूत अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित 'द म्यूजियम ऑफ फाइन आर्ट्स' में संरक्षित है. उससे भी पुष्टि होती है कि इस जमीन पर किसका दावा है. 

शिव के 11वें अवतार है बजरंगबली

ब्रिटिश फोटोग्राफर सैम्युअल बॉर्न ने 7 साल वर्ष 1863 से 1870 तक भारत मे काम किया था. यह खास तस्वीर साल 1868 में खींची गई थी. यहां हिन्दू पक्ष लगातार ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग के अलावा नन्दी, भगवान हनुमान की मूर्ति और हिन्दू शिल्पकृतियां होने का दावा कर रहा है. 

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ऐसे में हिन्दू पक्ष के दावों पर मुहर लगाती 154 वर्ष पुरानी यह दुर्लभ तस्वीर हिन्दू धर्म में भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी की मौजूदगी का प्रमाण देती है. देश के किसी भी शिवालय, शिवमंदिर या द्वादश ज्योतिर्लिंग में मौजूद नन्दी को भगवान शिव का वाहन माना जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि नंदी भगवान भोलेनाथ की सवारी हैं.

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