डीएनए हिंदी: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanwapi Masjid) का विवाद राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है. वहीं पुरातत्व विभाग के सर्वे में निकले एक कथित शिवलिंग को लेकर भी बहस छिड़ गई है. ऐसे में एक तरफ जहां हिंदू पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सौंपने की मांग कर रहा है तो दूसरी ओर इस कथित शिवलिंग को मुस्लिम पक्ष ने वजू करने का फव्वारा करार दिया है.अब आप लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये वजू क्या होता है और इसका क्या महत्व है?
क्या है इस्लामिक मान्यताएं
दरअसल, इस्लामिक मान्यता के अनुसार हर एक मुसलमान को वजू करना बेहद अहम बताया गया है. वैसे तो अधिकतर समय में नमाज के समय ही वजू किया जाता है लेकिन इस्लाम में कहा गया है कि एक मुसलमान को हमेशा वजू करके पाक रहना चाहिए.
वजू एक तरीका है जिसमें इंसान अपने शरीर के कई अंगों को धोकर साफ करता है. इसके लिए एक प्रक्रिया है जो पूरी तरह अपनाई जाती है. वजू करने के लिए सबसे पहले इंसान अपने मुंह और नाक में पानी डालकर सफाई करता है जिसके बाद मुंह पर पानी डालकर उसे साफ किया जाता है. इसके बाद हाथों को कोहनी तक धोना होता है.
इसके बाद इंसान को पानी को अपने बालों से ले जाते हुए कानों की सफाई करनी पड़ती है. वजू के आखिर में अपने पैर धोए जाते हैं. पैर को धोते समय याद रखा जाता है कि इन्हें टखनों को तक ठीक से धोया जाए. इसके बाद वजू पूरा हो जाता है जिसके बाद इंसान नमाज पढ़ने के लिए तैयार हो जाता है.
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नहीं कबूल होती है नमाज
इस्लाम के अनुसार किसी भी हाल में एक मुसलमान को वुजू करना जरूरी है, अगर वो नमाज पढ़ने जा रहा है तो बिना वुजू के नमाज नहीं मानी जाती है. इसी वजह से आपको हर मस्जिद या दरगाह पर वुजूखाना मिल जाता है. ऐसे ही वुजूखाने के होने का दावा ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी किया जा रहा है. मुस्लिम पक्ष का दावा है कि जिसे कथित तौर पर शिवलिंग बताया जा रहा है वो वजू खाने के अंदर लगा हुआ फव्वारा है जिसकी मदद से लोग वुजू करते हैं.
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हालांकि अब यह सारा मामला कोर्ट में है लेकिन अब यह विवाद धीर-धीरे बढ़ रही है जिसे राजनीतिक रंग भी दिया जा रहा है.
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