डीएनए हिंदी: सु्प्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हरिद्वार (Haridwar) हेट स्पीच (Hate Speech) केस में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है. बुधवार को धर्म संसद से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. सुप्रीम कोर्ट में केस के याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि ऐसी सभाओं के खिलाफ एक्शन लेने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश पूर्ववर्ती फैसलों में पारित किए गए थे. धर्म संसद केस में किसी की भी नोडल अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में हरिद्वार और दिल्ली में हाल में ही आयोजित हुए कार्यक्रमों में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों के संबंध में एक याचिका दार हुई थी. याचिका में ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की गई थी. बुधवार को केंद्र और अन्य पक्षकारों से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाई कोर्ट की पूर्व जज और वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश की याचिका पर नोटिस जारी किया है.
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क्या है याचिकाकर्ताओं की मांग?
याचिका में मांग की गई है कि हेट स्पीच केस की स्वतंत्र और विश्वसनीय जांच हो. सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में जल्द आदेश जारी करे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में 'धर्म संसद' आयोजित करने के खिलाफ स्थानीय प्राधिकरण को रिप्रजेंटेशन देने की अनुमति दी. सुप्रीम कोर्ट 10 दिन बाद इस केस की सुनवाई करेगा.
क्या था हेट स्पीच केस?
याचिका में 17 और 19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए कथित रूप से नफरत पैदा करने वाले भाषणों का जिक्र किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे भाषणों से निपटने के लिए दिशानिर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया कि एक कार्यक्रम हरिद्वार में यति नरसिंहानंद ने आयोजित किया था वहीं दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से आयोजित किया गया था. इन कार्यक्रमों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों के नरसंहार का कथित तौर पर आह्वान किया गया था.
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