Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में दिल्ली-पंजाब जैसी सफलता हासिल करने का टारगेट लेकर उतरी आम आदमी पार्टी (AAP) को एक और करारा झटका लग गया है. AAP को यह झटका उसकी ही INDIA ब्लॉक की सहयोगी कांग्रेस ने दिया है, जो कुछ दिन पहले तक आप के साथ हरियाणा चुनाव में गठबंधन के लिए हाथ बढ़ा रही थी. नीलोखड़ी (रिजर्व) सीट से आप कैंडीडेट अमर सिंह ने बुधवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस का दामन थाम लिया. अमर सिंह को पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कराई. यह विधानसभा चुनाव के बीच में आप के लिए दूसरा करारा झटका है. इससे पहले फरीदाबाद सीट पर आप कैंडीडेट प्रवेश मेहता ने BJP से हाथ मिला लिया था.
कांग्रेस कैंडीडेट का समर्थन करेंगे अमर सिंह
PTI के मुताबिक, अमर सिंह ने आप छोड़कर कांग्रेस जॉइन करते समय नीलोखड़ी सीट पर कांग्रेस कैंडीडेट धर्मपाल गोंडार को पूरा समर्थन देने की घोषणा की. प्रताप सिंह बाजवा ने अमर सिंह का पार्टी में स्वागत करते हुए उन्हें नीलोखड़ी के सिख समुदाय में बेहद पॉपुलर चेहरा बताया. उन्होंने कहा कि अमर सिंह ने बिना किसी शर्त के कांग्रेस जॉइन करने का निर्णय लिया है, जो कांग्रेस की नीतियों में उनके यकीन को दिखाता है.
'मैं लड़ता तो BJP को फायदा होता, उन्हें हराना है'
अमर सिंह ने आप छोड़कर Congress जॉइन करने को लेकर कहा कि हरियाणा में कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधी टक्कर है. नीलोखड़ी सीट पर भी यही स्थिति है. मेरा मेन टारगेट भाजपा सरकार को सत्ता से भगाना है, जिसने किसानों, महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय किया है. यह काम केवल कांग्रेस कर सकती है. यदि मैं चुनाव लड़ता तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलता. भाजपा के खिलाफ वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए मैंने कांग्रेस जॉइन करने का निर्णय लिया है.
चार दिन पहले फरीदाबाद में लगा था झटका
आम आदमी पार्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) के मतदान से महज एक सप्ताह पहले यह दूसरा करारा झटका लगा है. इससे महज 4 दिन पहले 28 सितंबर को फरीदाबाद सीट पर आप कैंडीडेट प्रवेश मेहता ने पार्टी छोड़ दी थी. मेहता ने आप को छोड़कर सत्ताधारी भाजपा जॉइन कर ली थी. प्रवेश ने केंद्रीय मंत्री और फरीदाबाद के सांसद कृष्ण पाल गुर्जर की मौजूदगी में भाजपा जॉइन की थी.
गठबंधन पर सहमति नहीं बना सके थे आप और कांग्रेस
लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल एक-दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे, लेकिन हरियाणा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में सहमति नहीं बन सकी थी. आप ने जहां 10 सीट मांगी थी, वहीं कांग्रेस उन्हें केवल 5 सीट ही देने के लिए तैयार थी. सहमति नहीं बनने से आप ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे अब दोनों पार्टियां हरियाणा में एक-दूसरे को हराने की पुरजोर कोशिश में जुटी हुई हैं.
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