Haryana Assebly Elections 2024: इस सीट पर जातीय समीकरण ने उलझाया गणित, क्या BJP को भारी पड़ेगा नया फॉर्मूला?

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Oct 04, 2024, 02:57 AM IST

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार बागियों ने सभी समीकरण बिगाड़ रखे हैं. गुरुग्राम सीट पर भी यही हाल है, जहां भाजपा का पहली बार ब्राह्मण चेहरा उतारने का प्रयोग पार्टी छोड़कर निर्दलीय उतरे नवीन गोयल के पक्ष में हवा बना रहा है.

Haryana Assembly Elections 2024: भारत में चुनावों में किसी भी पार्टी के कामकाज से ज्यादा अहम ये होता है कि उसकी तरफ से किस जाति के कितने उम्मीदवार उतारे गए हैं. जातीय समीकरणों के आधार पर ही जीत-हार तय होती है. यह बात हरियाणा चुनाव में भी फिट दिख रही है, जहां हर कोई इसी चर्चा में बिजी है कि किसने कितने जाट, कितने दलित तो कितने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं. जातीय समीकरणों के कारण चुनावी गणित किस कदर उलझ गया है, इसका बड़ा उदाहरण गुरुग्राम सीट बन गई है. जातीय समीकरणों के उलझे हुए गणित ने गुरुग्राम को हॉट सीट बना दिया है, जहां भाजपा-कांग्रेस के समीकरण इकलौते वैश्य उम्मीदवार के कारण बिगड़ गए हैं.

भाजपा पर भारी पड़ रहा उसका ही प्रयोग

भाजपा ने यहां पहली बार ब्राह्मण चेहरा उतारकर एक्सपेरिमेंट किया, जबकि यह जाति इस सीट पर कभी नहीं जीती है. यह नया प्रयोग सटीक साबित होता, लेकिन उसके कोर वोट बैंक वैश्य समाज के इस प्रयोग को नकार देने से अब यह प्रयोग भाजपा पर भारी दिख रहा है. वैश्य समाज खुलकर भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे नवीन गोयल के समर्थन में उतर आया है, जबकि इस सीट पर सबसे भारी पंजाबी वोटर पहले ही भाजपा के बजाय कांग्रेस के साथ खड़ा दिख रहा है.

पार्टी संगठन भी साथ नहीं दिख रहा भाजपा उम्मीदवार के

भाजपा ने गुरुग्राम सीट पर मुकेश शर्मा को अपना टिकट दिया है, जबकि वह 2009 में बादशाहपुर सीट से भाजपा के टिकट पर हारने के बाद 2014 में इसी सीट पर पार्टी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर हार चुके हैं. इसके बाद भी वह भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेतृत्व से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक के खिलाफ विवादित बयानबाजी करते रहे हैं.  लगातार पार्टी के खिलाफ बगावती बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं. दो बार चुनावी हार और विवादित बयानों के बावजूद मुकेश शर्मा को टिकट मिलने से पार्टी संगठन और जमीनी स्तर के कार्यकर्ता भी खुश नहीं दिखे. इसका असर चुनाव प्रचार पर भी दिखा है, जहां पार्टी संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ता मुकेश शर्मा के साथ खड़े नहीं दिखे हैं. मुकेश शर्मा के साथ पार्टी के ब्राह्मण नेता भी नहीं खड़े दिखे हैं. 

भाजपा के प्रयोग का लाभ मिल रहा बागी नवीन को

भाजपा के ब्राह्मण चेहरे को उतारने का प्रयोग फेल होने का लाभ निर्दलीय उम्मीदवार नवीन गोयल को मिल रहा है. पिछले 11 साल से भाजपा का कैडर रहे नवीन जमीन से जुड़े रहे हैं. गुरुग्राम सीट पर पिछले दोनों चुनाव वैश्य उम्मीदवारों ने जीते हैं. इस बार नवीन इकलौते वैश्य उम्मीदवार हैं. इस कारण वैश्य समाज ने भाजपा छोड़कर उनका समर्थन किया है. जाट वोटर्स के साथ ही नवीन के पक्ष में पंजाबी समुदाय भी खड़ा दिखा है. साथ ही मुकेश शर्मा से नाराज भाजपा के अन्य ब्राह्मण नेता भी अंदरखाने नवीन का ही समर्थन कर रहे हैं. इस तरह 36 बिरादरी के समर्थन के कारण नवीन गोयल ने विपक्षी नेताओं की नींद उड़ा रखी है. 

इन नेताओं का साथ मिलने से मजबूत दिख रहे नवीन

नवीन गोयल के पक्ष में एक और खास बात भी जा रही है. उन्हें अन्य दलों के कई नेताओं का साथ मिल गया है. जहां भाजपा छोड़ने वाली अनुराधा शर्मा उनके पक्ष में ब्राह्मण समाज को जोड़ रही हैं, वहीं दो बार की पार्षद सीमा पाहूजा पंजाबी समाज से उनके लिए वोट मांग रही हैं. गुरुग्राम का बड़ा दलित चेहरा कहलाने वाले भाजपा नेता सुमेर सिंह ने भी पार्टी छोड़कर नवीन गोयल का समर्थन किया है. कई मुस्लिम संस्थाओं ने भी नवीन का समर्थन किया है. उनकी सभाओं में भी जमकर भीड़ उमड़ी है. 

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