हरियाणा (Haryana) में मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) युग का अंत हो गया. राज्य की कमान अब 54 वर्षीय नायब सैनी (Nayab Saini) के हाथों में है.
लोक सभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी की इस रणनीति के बारे में कोई नहीं जानता था. एक दिन पहले पीएम मोदी ने मनोहर लाल खट्टर की जमकर तारीफ भी की थी. अचानक लिए गए इस फैसले पर हर कोई हैरान है.
हरियाणा राज्य साल 1966 में बना था. नायब सैनी इस राज्य के 11वें मुख्यमंत्री हैं. नायब सैनी, मनोहर लाल खट्टर के करीबी रहे हैं, उनका ही नाम खट्टर ने मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था.
कौन हैं नायब सैनी?
नायाब सैनी का जन्म 25 जनवरी 1970 को अंबाला जिले के मिर्ज़ापुर माजरा गांव में हुआ था. इन्होंने मुजफ्फरपुर में बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से बीए किया है, वहीं मेरठ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है.
इसे भी पढ़ें- एक दिन पहले PM मोदी कर रहे थे तारीफ, अगले दिन खट्टर को कुर्सी से हटाया, हरियाणा में क्या है BJP का प्लान?
साल 1996 से ही ये भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े हैं. 2000 के दशक से इनका राजनीतिक उभार होने लगा. 2002 में ये बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव बने. साल 2005 तक, उसी यूनिट के अध्यक्ष बने.
2009 में नायब सैनी ने नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से अपनी पहली चुनावी पारी खेली. तब तक यह सीट बीजेपी ने कभी नहीं जीती थी. पहले चुनाव में नायब सैनी ने केवल 6.86% वोट हासिल किया. कांग्रेस के राम किशन के बाद वे पांचवें स्थान पर रहे.
5 साल बाद, जैसे ही भाजपा हरियाणा में सत्ता में आई, सैनी ने 39.76% वोट हासिल कर मौजूदा विधायक राम किशन को 24,000 से अधिक वोटों से हरा दिया.
मनोहर लाल खट्टर के कैसे बने करीबी?
नायब सैनी साल 2014 और 2019 के बीच श्रम और रोजगार और खान और भूविज्ञान राज्य मंत्री के रूप में खट्टर कैबिनेट के सदस्य बने. उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा. कुरुक्षेत्र सांसद चुने गए. 27 अक्टूबर, 2023 को, नायब सैनी पार्टी राज्य बीजेपी अध्यक्ष ओम धनखड़ को हटा दिया. वे अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे.
क्यों बीजेपी ने बनाया मुख्यमंत्री?
नायब सैनी ने बीजेपी की दशकों सेवा की है. उन्होंने हर चुनौती पार की. हरियाणा में जाट आबादी का हमेशा वर्चस्व रहा है. गैर जाट ओबीसी वोटों को साधने के लिए ही मनोहर लाल खट्टर की एंट्री हुई थी, अब नायब सैनी भी वही प्रयोग हैं.
इसे भी पढ़ें- UPI Payment Charge: UPI पेमेंट अब नहीं होगा फ्री? PhonePe, GPay और सरकार के बीच चल रहा टकराव
बीजेपी नेताओं का कहना है कि जाटों का समर्थन काफी हद तक कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच बंटा हुआ नजर आ रहा है.
किस समाज से आते हैं नए मुख्यमंत्री?
नायब सैनी, सैनी समाज से आते हैं. यह समुदाय हरियाणा में आबादी का करीब 8% हिस्सा है, लेकिन एनएफएचएस डेटा के मुताबिक बड़ी ओबीसी आबादी 28.6% है. सैनी समाज उत्तरी हरियाणा में अंबाला, कुरूक्षेत्र, हिसार और रेवारी जैसे जिलों में विशेष रूप से प्रभावशाली हैं.
अंबाला बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राजेश बतौरा ने कहा, 'पार्टी ने सैनी को चुनने का अच्छा फैसला किया है. यह पहली बार है कि किसी मुख्यमंत्री को अंबाला जिले से चुना गया है और इससे हमें क्षेत्र में बढ़त मिलेगी.'
खट्टर के साथ दोस्ती आई काम, बन गए मुख्यमंत्री
नायब सैनी के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी मनोहर लाल खट्टर से दोस्ती, भी सीएम बनने की एक वजह है. नायब सैनी ने तीन दशकों से अधिक समय तक संगठन में काम किया है, लेकिन उन्होंने मनोहर लाल खट्टर के सहयोगी के तौर पर काम किया है.
90 के दशक के मध्य में, जब मनोहर लाल खट्टर संघ और पार्टी के संगठन में काम करते थे, तो नायब सैनी उनकी कार चलाते थे. वह हमेशा खट्टर के आसपास रहते थे. उन्होंने मनोहर लाल खट्टर के नोट्स तक ढोए हैं.
खट्टर की पहली पसंद हैं नायब सैनी
साल 2014 में नायब सैनी पहली बार हरियाणा कैबिनेट में मंत्री बने. सांसद बनने के बाद, उन्हें राज्य ओबीसी मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाया गया था. हरियाणा बीजेपी प्रमुख के रूप में उनका प्रमोशन भी यह साबित कर रहा था कि उनकी उड़ान और मजबूत होने वाली है.
अब थम जाएगा हरियाणा का प्रतिरोध
बीजेपी को उम्मीद है कि नायब सैनी के उभार से सत्ता विरोधी लहर थमेगी. मनोहर लाल खट्टर से 2016 से ही जाट कम्युनिटी नाराज है. अब बीजेपी के नए दांव से कुछ राहत मिल सकती है.
क्या है नायब सैनी के सामने चुनौती?
नायब सैनी के सामने तुरंत दो बड़ी राजनीतिक चुनौतियां हैं. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. 10 सीटों पर जीत हासिल करने की चुनौती है. थोड़े दिनों बाद विधानसभा चुनाव होंगे, जिसे जीतने की भी एक बड़ी चुनौती है.
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार से लोगों की नाराजगी एक अरसे से चल रही थी. किसानों से लेकर युवाओं तक, हर तबके की नाराजगी सामने आई थी. नायब सैनी को सीएम बनाकर बीजेपी ने नया दांव चल दिया है.
उम्मीद है कि अब इनके फैसले ऐसे होंगे कि आने वाले विधानसभा चुनावों में ये वे सारे दांव चल सकें, जिससे मनोहर लाल खट्टर चूक गए थे. अब इनके पास जनता के असंतोष को देखकर नीतिया बनाने का दांव भी है.
डीएनए हिंदी का मोबाइल एप्लीकेशन Google Play Store डाउनलोड करें.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.