हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की कांग्रेस (Congress) सरकार सियासी मुश्किलों में फंस गई है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसा मजबूत विपक्ष है, दूसरी तरफ सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) के खिलाफ भड़के विधायकों का एक दल. सीएम सुक्खू के लिए इन चुनौतियों से निपटना मुश्किल हो रहा है.
सीएम सुक्खू के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. पहले उन्होंने पार्टी से नाराजगी सार्वजनिक की. दूसरी बार उन्होंने पद से ही इस्तीफा दे दिया. मान-मनौव्वल के बाद जब वे पार्टी में दोबारा आए तो अब एक बार फिर उनकी नाराजगी सामने आई है.
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मीटिंग छोड़कर बाहर निकले विक्रमादित्य, बागियों से मिले
गुरुवार को सीएम सुक्खू ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई थी. यह मीटिंग करीब 6.30 पर बीच में ही छोड़कर विक्रमादित्य सिंह चले गए और 6 अयोग्य ठहराए गए विधायकों से जा मिले.
ऐसा लग रहा है कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब मुश्किलों में आ गई है. एक तरफ डीके शिवकुमार और सीएम सुक्खू कह रहे हैं कि संकट टल गया है लेकिन हालात जस के तस बने हैं.
क्या है तकरार की वजह?
विक्रमादित्य सिंह पार्टी में सही सम्मान न मिलने की वजह से बेहद नाराज चल रहे हैं. उनका सीएम सुक्खू से अनबन जगजाहिर है. हिमाचल प्रदेश में जब राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो बगावत खुलकर सामने आ गई.
कांग्रेस बहुमत में है और बीजेपी के पास महज 35 विधायक हैं. कांग्रेस के 6 विधायकों ने बीजेपी के फेवर में वोटिंग कर दी. निर्दलीयों ने बीजेपी का साथ दे दिया. बीजेपी उम्मीदवार की जीत क्रॉस वोटिंग की वजह से हो गई. कांग्रेस सरकार पर तभी से संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि सरकार खतरे में है.
क्यों बैठक छोड़कर गए विक्रमादित्य?
मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है कि विक्रमादित्य खुद को भविष्य का मुख्यमंत्री मानते हैं. पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे होने की वजह से उनके पास तगड़ा जनसमर्थन भी है.
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ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पंचकूला में विक्रमादित्य ने जिन 6 बागी विधायकों से मुलाकात की है, उन्हें लेकर कोई वे अहम कदम उठा सकते हैं. ऐसी सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं.
ऐसे भी दावे किए जा रहे हैं कि विक्रमादित्य सिंह बार-बार यह इशारा कर रहे हैं कि वे सुक्खू सरकार से खुश नहीं हैं, ऐसे में उनकी मांगों को प्राथमिकता दी जाए, नहीं तो वे आगे कोई कड़ा फैसला कर सकते हैं.
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