Resort Politics: एमपी और कर्नाटक में गच्चा खा चुकी है कांग्रेस, हिमाचल प्रदेश में बन पाएगी सरकार?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 08, 2022, 03:34 PM IST

हिमाचल प्रदेश में अलर्ट हुई कांग्रेस

Himachal Pradesh Congress MLAs: हिमाचल प्रदेश में चुनाव परिणाम आते ही कांग्रेस पार्टी अलर्ट मोड पर आ गई है और अपने विधायकों को संभालने में जुट गई है.

डीएनए हिंदी: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे (Himachal Pradesh Election Result) कांग्रेस के पक्ष में जाते दिख रहे हैं. बहुमत से कुछ 3-4 सीटें ही ज़्यादा होने की वजह से कांग्रेस (Congress Party) अलर्ट हो गई है. मध्य प्रदेश, गोवा और कर्नाटक में पार्टी में हो चुकी टूट को देखकर कांग्रेस इस बार काफी चौकन्नी है. यही वजह है कि कांग्रेस महासचिव और हिमाचल प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) जल्द शिमला पहुंचने वाली हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी हिमाचल प्रदेश जाने वाले हैं. कांग्रेस आलाकमान पूरी तरह से ऐक्टिव मोड में है और जीते हुए सभी विधायकों को इकट्ठा किया जा रहा है. कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि यहां बीजेपी किसी भी तरह की जोड़-तोड़ न कर पाए और कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में कामयाब रहे.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने कहा है कि उनकी पार्टी 'ऑपरेशन लोटस' से डरती नहीं है और वह सरकार नहीं बनाएगी. दरअसल, कांग्रेस में सीएम कैंडिडेट के नाम को लेकर पेच फंस सकता है. पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और वह अपना दावा ठोंक चुकी है. इसके अलावा, विधानसभा में नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू भी अपनी-अपनी दावेदारी पेश करने की तैयारी में हैं.

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रिजॉर्ट पॉलिटिक्स में बीजेपी ने हर बार मारी बाजी
कांग्रेस पार्टी को डर है कि सीएम पद को लेकर मध्य प्रदेश की तरह आपसी कलह का फायदा बीजेपी ने उठा ले जाए. इसीलिए पार्टी ने अपने विधायकों को रिजॉर्ट में रखने की कवायद शुरू कर दी है. बीते कुछ सालों में गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का बोलबाला रहा है. इन सभी राज्यों में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की खुद की सरकार गिर गई थी और महाराष्ट्र और कर्नाटक में गठबंधन सरकार को गिराकर बीजेपी ने बाजी मार ली थी. वहीं, गोवा में ज्यादा सीटें होने के बावजूद कांग्रेस अपनी सरकार नहीं बना पाई थी.

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कुछ ही महीनों पहले शिवसेना में एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी और महाराष्ट्र के सीएम रहे उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. तब भी शिवसेना के बागी विधायकों को गुवाहाटी के होटल में रखा गया और तमाम प्रयासों के बावजूद शिवसेना कुछ नहीं कर सकी. ऐसा ही वाकया मध्य प्रदेश में हुआ था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी थी और कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट वाले 21 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस लाचार देखती रह गई थी.

कर्नाटक और गोवा में भी हाथ मलती रह गई कांग्रेस
कर्नाटक में एच डी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे तो कांग्रेस ने समर्थन दिया था. बीजेपी ने यहां भी तोड़फोड़ की और कुमारस्वामी इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए. गोवा में पिछले दो चुनावों से ऐसा हो रहा है कि बीजेपी को पूरा बहुमत नहीं मिला फिर भी उसने सरकार बना ली. पिछले चुनाव में तो कांग्रेस की सीटें ज़्यादा थीं लेकिन बीजेपी ने तत्परता दिखाई और वह सरकार बना ले गई.

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इन राज्यों में कांग्रेस का हाल ऐसा रहा है कि हाथ को आई लेकिन मुंह को न लगी. यही वजह है कि कांग्रेस अब हिमाचल प्रदेश में प्रो ऐक्टिव हो गई है. कांग्रेस के नेता हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी सूरत में वह सरकार बना ले और बीजेपी की कोशिशें नाकाम हो जाएं. रुझान अगर नतीजों में बदल जाते हैं तो हो सकता है कि कांग्रेस को सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

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