Pakistan से आया हिंदू शरणार्थी निकला जासूस, मसाले के पैकेट में भेजता था सिम, Paytm से लेता था पैसा

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 22, 2022, 10:56 AM IST

सांकेतिक तस्वीर

राजस्थान इंटेलिजेंस ने 46 वर्षीय भागचंद को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. आरोपी ने 6 साल पहले ही भारत की नागरिकता ली थी और दिल्ली में रहकर टैक्सी चलाता था.

डीएनए हिंदी: पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. वह लगातार भारत के खिलाफ किसी न किसी रूप में साजिश रच रहा है. अब उसके एक और मोहरे का पर्दाफाश किया गया है. राजस्थान इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान (Pakistan) से आए एक हिंदू शरणार्थी को जासूसी के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार किया है. आरोपी ने 6 साल पहले भारत की नागरिकता ली थी.

पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस) उमेश मिश्रा ने बताया कि 46 वर्षीय भागचंद तीन-चार साल से पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में था और उन्हें भारतीय मोबाइल नंबर एवं सिम कार्ड उपलब्ध करा रहा था. उन्होंने बताया कि आरोपी जासूसी की एवज में पेटीएम (Paytm) के जरिए धनराशि प्राप्त करता था. उन्होंने बताया कि जासूसी के मामले में भीलवाड़ा से 27 साल के नारायण लाल गाडरी को 14 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने बताया कि गाडरी विभिन्न मोबाइल कंपनियों के सिम कार्ड जारी करवाकर पाकिस्तानी हैंडलर्स को उपलब्ध कराता, जिनकी मदद से वे सोशल मीडिया अकाउंट चलाते थे.

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मसाले के पैकेट में छिपाकर भेजता था सिम
DGP ने बताया कि नारायण लाल गाडरी ने पूछताछ के दौरान अपने साथी दिल्ली निवासी भागचंद के बारे में बताया. गाडरी द्वारा जारी करवाए गए सिम कार्ड को भागचंद ने दिल्ली के कश्मीरी गेट बस स्टैंड स्थित खान मार्केट ट्रैवल्स ऑफिस में मंगावाया और प्राप्त किया था. उन्होंने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि पाकिस्तानी हैंडलर से मिली रकम से भागचंद ने भाटी माइंस से कीपैड वाला एक पुराना मोबाइल फोन खरीदा और नारायण द्वारा भेजे गए सिम कार्ड की मदद से OTP साझाा करके पाकिस्तान में भारतीय मोबाइल नंबर से सोशल मीडिया अकाउंट संचालित करने के लिए व्हाट्सएप एवं सिगनल एप डाउनलोड करवाएं. उन्होंने बताया कि बाद में भागचंद ने उन सिम कार्ड को बच्चों के कपड़ों एवं एमडीएच मसाले के पैकेट में छिपाकर पार्सल से मुंबई भेजे थे.

2016 में ली थी भारत की नागरिकता
डीजीपी ने बताया कि भागचंद का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और 22 साल की उम्र में 1998 में भारत का वीजा प्राप्त करके वह पूरे परिवार से साथ दिल्ली आ गया था. यहां उसे 2016 में भारत की नागरिकता मिल गई और वह दिल्ली में ही टैक्सी चलाने व मजदूरी का कार्य करने लगा, जबकि उसके रिश्तेदार और अन्य परिजन पाकिस्तान में रहते हैं, जिनके माध्यम से वह तीन-चार साल से पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में था.

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