डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को बड़ा फैसला दिया है. विधवा महिला के भरण-पोषण अधिकार से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के सेक्शन 14(1) के तहत, हिंदू विधवा महिला अगर किसी संपत्ति की देखभाल कर रही है या उसका उस पर नियंत्रण है तो पति की मृत्यु के बाद भी महिला का उस पर पूरा अधिकार है. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने यह फैसला दिया है.
कोर्ट ने कहा, 'धारा 14 (1) का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना'
2 जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि धारा 14(1) महिलाओं के पक्ष में एक उदार परिदृश्य की अपेक्षा करता है. इसके पीछे सामाजिक-आर्थिक उद्देश्यों हैं. कोर्ट ने माना कि विधवाओं को भी संपत्ति में पूरा अधिकार मिलना चाहिए.
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कोर्ट ने फैसले में कहा, "यह 1956 के अधिनियम की धारा 14 (1) के आधार पर है. हिंदू विधवा का सीमित हित अधिकार खुद-ब-खुद पूर्ण अधिकार के तौर पर बदल जाता है. यह स्पष्ट है कि ऐसी संपत्ति जो महिला के पास है भले ही वह 1956 के अधिनियम के शुरू होने से पहले या बाद में अर्जित की गई हो.
2 मृत सदस्यों के बीच विवाद पर हुई सुनवाई
अदालत एक परिवार के दो मृत सदस्यों के बीच विवाद की सुनवाई कर रही थी. दोनों सदस्यों के कानूनी प्रतिनिधियों (एलआर) के जरिए केस की सुनवाई आगे बढ़ाई जा रही थी. अपीलकर्ता के वकील ने प्रतिवादी की सपंत्ति पर दावा किया था. संपत्ति पर एक विधवा का हक साल 1953 से था.
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