डीएनए हिंदी: सिक्किम का नेपाली समुदाय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की उस टिप्पणी से खासा नाराज है जिसमें उन्हें अप्रवासी बताया गया है. इस मामले में गृह मंत्रालय ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. गृह मंत्रालय (MHA) ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि केंद्र सरकार ने सिक्किम के निवासियों की पहचान की रक्षा करने वाले संविधान के अनुच्छेद 371एफ की सर्वोपरिता के बारे में उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपना रुख प्रस्तुत किया है.
गृह मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘गृह मंत्रालय ने ‘एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम एंड अदर्स’ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर 2013 और 2021 की दो याचिकाओं पर 13 जनवरी 2023 के हालिया फैसले में कुछ टिप्पणियों और निर्देशों के खिलाफ कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 371F की सर्वोपरिता के बारे में अपना रुख दोहराया है, जो सिक्किम निवासियों की पहचान की रक्षा करता है, जिसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए.
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याचिका में साथ ही यह भी कहा गया है कि उक्त आदेश में सिक्किम में बसे विदेशी मूल के व्यक्तियों जैसे नेपालियों के बारे में टिप्पणी की समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि वे लोग नेपाली मूल के सिक्किम के नागरिक हैं.’ गृह मंत्रालय की ओर से यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी को लेकर राज्य में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
सिक्किम BJP के नेताओं ने अमित शाह से की थी मुलाकात
शीर्ष अदालत ने राज्य के सभी पुराने निवासियों को आयकर छूट का विस्तार करते हुए सिक्किम में बसे नेपाली समुदाय को ‘प्रवासी’ बताया था. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रविवार को भाजपा की सिक्किम इकाई के अध्यक्ष के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. शाह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि वित्त एवं गृह मंत्रालय एक पुनर्विचार याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से 'सिक्किमी' शब्द पर संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप स्पष्टता का अनुरोध करेंगे. शाह ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि सिक्किम के लोग भारत का अभिन्न और आवश्यक हिस्सा हैं. सिक्किम के लोगों के लिए संवैधानिक प्रावधान की रक्षा की जाएगी.’
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बता दें कि 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 (26AAA) में सिक्किम की परीभाषा में संशोधन करने का निर्देश दिया था. जिसमें 26 अप्रैल 1975 की विलय की तारीख को या उससे पहले सिक्किम में अधिवासित सभी भारतीय नागरिकों को आयकर में छूट दी गई थी.
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