डीएनए हिंदी: कोरोना की वैक्सीन (Vaccine) लेने के बाद लगभग 30 फीसदी यानी हर 10 में से 3 लोगों में इसका असर मात्र 6 महीने तक रहता है. इसके बाद इससे बनी इम्यूनिटी उनमें कमजोर या खत्म हो जाती है. यह जानकारी भारत में हुई एक रिसर्च से सामने आई है.
दरअसल हैदराबाद स्थित AIG हॉस्पिटल और एशियन हेल्थकेयर ने मिलकर वैक्सीन की इम्यूनिटी के असर को लेकर एक रिसर्च की थी जिसमें 1,636 लोगों को शामिल किया गया. रिसर्च में शामिल सभी लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके थे.
वहीं इसे लेकर AIG अस्पताल के चैयरमैन डॉ नागेश्वर रेड्डी ने बताया, रिसर्च का उद्देश्य लोगों को वैक्सीन के बाद मिली इम्यूनिटी के असर को जानना था. इसके साथ ही यह पता लगाना था कि किस आयुवर्ग में बूस्टर डोज की ज्यादा जरूरत है.
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डॉ नागेश्वर ने बताया कि रिसर्च में लोगों की एंटीबॉडी लेवल की जांच की गई. Covid-19 के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर कम से कम 100 एयू प्रति एमएल होना चाहिए. इससे कम होने पर संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होगा.
उन्होंने बताया, रिसर्च में शामिल 1,636 लोगों में से 93% ने कोविशील्ड, 6.2% लोगों ने कोवैक्सीन और 1% से भी कम ने स्पूतनिक-वी की डोज ली थी. इनमें से करीब 30 फीसदी लोगों में 6 महीने बाद वैक्सीन से बनी इम्युनिटी का स्तर 100 AU/ml से नीचे था.
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डॉ ने बताया कि हाइपर टेशन और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 40 साल से ऊपर के लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो गई है. वहीं करीब 6 प्रतिशत लोगों में इम्यूनिटी का स्तर न्यूनतम स्तर पर था. उन्होंने बताया, इस दौरान पाया गया है कि बुजुर्गों की तुलना में युवाओं में लंबे समय तक इम्यूनिटी बनी रहती है.