श्रीहरिकोटा की छोटी बहन kulasekarapattinam, कैसे भारत के अंतरिक्ष मिशन को देगी नई उड़ान?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Mar 07, 2024, 09:15 AM IST

kulasekarapattinam में बन रहा है ISRO का स्पेस पोर्ट.

Kulasekarapattinam तमिलनाडु में हैं. यह रॉकेट लॉन्चिंग के लिए अब पूरी तरह से तैयार है. यह देश का दूसरा रॉकेट लॉन्चपैड बन रहा है.

भारत (India) के अंतरिक्ष मिशन (Space Mission) को रफ्तार मिलने वाली है. देश का दूसरा रॉकेट लॉन्चपैड तमिलनाडु (Tamil Nadu) के दक्षिणी सिरे कुलसेकरपट्टिनम (Kulasekarapattinam) में बनकर तैयार हो रहा है. यहां से कन्याकुमारी (Kanya Kumari) भी बेहद करीब है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 28 फरवरी को  कुलसेकरपट्टिनम स्पेसपोर्ट की आधारशिला रखी थी. 

अब उम्मीद जताई जा रही है कि यहां लॉन्चिंग सिस्टम 2 साल के भीतर बनकर तैयार हो जाएगा. यह स्पेस पोर्ट करीब  2,292 एकड़ में फैला है. इसे लगभग 986 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है. यहां से छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाएगा.


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कैसे देश के स्पेस मिशन को मिलेगी रफ्तार?
कुलसेकरपट्टिनम से साउंडिंग रॉकेट का प्रक्षेपण किया जाएगा. यह भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की अगली छलांग की दिशा तय कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के चेयरमैन एस सोमनाथ (S Somnath) ने कहा है कि नया स्पेसपोर्ट दो साल में तैयार हो जाएगा. 

श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दो लॉन्चपैड हैं. कुलसेकरपट्टिनम नया लॉन्चपैड बनेगा. श्रीहरिकोटा की तरह, यहां भी रॉकेट एकीकरण सुविधाएं, मोबाइल लॉन्च संरचना और चेकआउट कंप्यूटर भी डिजाइन्ड होंगे.

 


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इस लॉन्चपैड का इस्तेमाल ISRO के छोटे SSLV रॉकेट को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा. कुलसेकरपट्टिनम से लॉन्च किए गए रॉकेट, कम ईंधन से बड़ी दूरी तय करेंगे. इसके लिए एक स्पेशल फ्लाइंग रोड पर जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित PSLV रॉकेट के उलट यहां छोटे सेटेलाइट प्रक्षेपित किए जाएंगे. 

यह स्पेस पोर्ट जब तैयार हो जाएगा तो भारत के लिए लॉन्चिंग की राह तैयार हो जाएगी.  कुलसेकरपट्टिनम से नैनो और माइक्रोसैटेलाइट्स लॉन्च होंगे. अब ये अपनी क्षमताओं, नेविगेशन और रिमोट सेंसिंग के लिए पसंदीदा उपकरण बनते जा रहे हैं.

क्या है ISRO की तैयारी?
इसरो माइक्रो और नैनो उपग्रहों को मिलाकर 34 देशों के लिए 432 सेटेलाइट लॉन्च किए हैं. व्यापक स्तर पर छोटे उपग्रहों को ISRO लॉन्च करेगा. इसरो का SSLV रॉकेट, इस मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार है. इससे बड़ी स्तर पर आर्थिक लाभ होगा.
 


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नए स्पेस पोर्ट में लॉन्च व्हीकल और सेटेलाइट सर्विस दोनों पर प्राइवेट सेक्टर के लिए नए अवसर खुलेंगे. 2022 में, केंद्र ने अंतरिक्ष क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोल दिया है. हाल ही में इस सेक्टर में करीब 100% FDI की इजाजत दी गई है.

तमिलनाडु सरकार स्पेस पोर्ट के करीब 2,000 एकड़ में एक अंतरिक्ष औद्योगिक और प्रोपल्शन पार्क बनाने की योजना योजना पर काम कर रही है. इसमें अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए आवश्यक प्रणोदक के निर्माण और प्रक्षेपण वाहनों, उपग्रहों और संबंधित उपकरणों के निर्माण की सुविधाएं शुरू की जाएंगी.

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