इफ्तार पार्टी में राबड़ी देवी और Tejaswi Yadav को भी न्योता, आखिर BJP को क्या मैसेज देना चाहते हैं Nitish Kumar?

नीलेश मिश्र | Updated:Apr 28, 2022, 09:58 AM IST

BJP को संदेश देने की तैयारी में नीतीश कुमार

राबड़ी देवी के घर पर हुई इफ्तार पार्टी में शामिल होकर नीतीश कुमार ने सबको चौंका दिया था. अब एक और इफ्तार पार्टी होने वाली है.

डीएनए हिंदी: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राजनीति के बेहद अप्रत्याशित खिलाड़ी माने जाते हैं. कहा जाता है कि 'सुशासन बाबू' कब किसके साथ होते हैं और कब किसके खिलाफ़, इसका खुद उन्हें भी पता नहीं होता. रमजान के महीने में इफ़्तार पार्टियां और उनमें नेताओं की शिरकत ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में नए समीकरण बुनने शुरू कर दिए हैं. एक इफ़्तार पार्टी में नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद ऐसे कयास लगने लगे हैं कि नीतीश बाबू अपनी गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मैसेज देना चाहते हैं. अब एक और इफ़्तार पार्टी होने वाली जिसमें नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव समेत कई दिग्गज नेताओं को न्योता दिया गया है.

इस बार 'राजनीतिक' इफ़्तार की दावत जनता दल यूनाइटेड (JDU) की अल्पसंख्यक शाखा के अध्यक्ष सलीम परवेज़ ने दी है. सलीम परवेज ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व सीएम राबड़ी देवी, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, जगदानंद सिंह के साथ-साथ बीजेपी और कांग्रेस के भी कई दिग्गज नेताओं को इफ्तार पार्टी का न्योता दिया है. गुरुवार को पटना के हज भवन में आयोजित इस पार्टी में कई बड़े नेताओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. 

राबड़ी देवी के घर पहुंचकर नीतीश कुमार ने चौंकाया
इससे पहले, 22 अप्रैल को भी एक इफ़्तार पार्टी हुई थी. जगह थी पटना स्थित राबड़ी देवी का घर. नीतीश कुमार को भी न्योता दिया गया था. पास में ही रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पार्टी में शरीक होने के लिए पैदल ही पहुंच गए. राबड़ी के घर नीतीश कुमार के पहुंचने से राजनीतिक गलियारों में शोर मच गया. उस पर भी आग में घी डालने का काम किया तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की मुलाकात ने. इसी पार्टी में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद बीजेपी के नेता चौकन्ने हो गए.

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कहा जाने लगा कि नीतीश कुमार अब लालू परिवार से अपने रिश्ते सुधार रहे हैं. खुद सलीम परवेज ने कहा है कि राजनीति में कब-क्या हो कुछ कहा नहीं जा सकता. नीतीश कुमार के लगातार बदलते रहे स्टैंड को देखकर इस पर भरोसा भी किया जा सकता है, क्योंकि नीतीश कुमार ने अपने धुर विरोधी रहे लालू यादव से हाथ मिला लिया था और बिहार में सरकार बना ली थी. उन्होंने दोबारा बीजेपी के साथ न जाने की कसमें खाईं थीं, लेकिन आखिर में वह फिर बीजेपी के साथ चले गए.

बीजेपी को संदेश देना चाहते हैं नीतीश?
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू से बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उसके बाद से ही वह लगातार अपनी ताकत को और बढ़ा रही है. चुनाव में भी चिराग पासवान ने जेडीयू का जमकर विरोध किया था. जेडीयू के नेता गाहे-बगाहे कहते रहे कि इसके पीछे भी बीजेपी का हाथ है. बीते कुछ समय से बीजेपी के कई नेता खुलकर नीतीश कुमार की नीतियों की आलोचना करते हैं. कई बार देखा जाता है कि जेडीयू और बीजेपी के बीच समन्वय सही नहीं है. 

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ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि तेजस्वी यादव से मुलाकात करके और लालू परिवार से नजदीकियां बढ़ाकर नीतीश कुमार बीजेपी को ही संदेश देना चाहते हैं. राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि हो सकता है कि नीतीश कुमार बीजेपी का साथ न छोड़ें, लेकिन वे बीजेपी को संतुलित ज़रूर रखना चाहते हैं.

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