डीएनए हिंदी: अप्रैल महीने में ही लोग भीषण गर्मी से परेशान हैं. आने वाले मई महीने में भी लोगों को गर्मी से राहत मिलने की कम ही उम्मीद है. मौसम विभाग ने शनिवार को कहा कि उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में 1990 के बाद से अप्रैल महीने में इस साल सर्वाधिक औसत अधिकतम तापमान दर्ज किया गया. इस क्षेत्र में मई में भी गर्मी से राहत नहीं मिलेगी.
मई के लिए तापमान और बारिश से जुड़े पूर्वानुमान जारी करते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकतर हिस्सों में मई के महीने में रात में भी गर्मी महसूस होगी. उन्होंने कहा कि उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में इस साल अप्रैल पिछले 122 वर्षों में सबसे अधिक गर्म रहा, जहां औसत अधिकतम तापमान क्रमश: 35.9 डिग्री सेल्सियस और 37.78 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा.
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इससे पहले उत्तर-पश्चिम भारत में अप्रैल 2010 में औसत अधिकतम तापमान 35.4 डिग्री सेल्सियस, जबकि मध्य भारत में अप्रैल 1973 के दौरान औसत अधिकतम तापमान 37.75 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था.
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महापात्रा ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश भागों - जम्म कश्मीर, हिमाचल, गुजरात, राजस्थान, पजांब और हरियाणा को मई में भी सामान्य से अधिक तापमान का सामना करना होगा. उन्होंने कहा कि अप्रैल के दौरान देशभर में औसत तापमान 35.05 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो 122 वर्षों में चौथी बार सबसे अधिक रहा है. उन्होंने कहा कि देश में इस साल मई के दौरान औसत बारिश सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि मई में उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीप में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. महापात्रा ने पश्चिमी राजस्थान के कुछ भागों में तापमान 50 डिग्री के पार चले जाने की संभावना को खारिज नहीं किया.
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इस बार गर्मी के मौसम में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से जुड़े सवाल पर महापात्रा ने कहा, ''मैं इस तरह का पूर्वानुमान नहीं जता सकता. हालांकि, यह जलवायु के अनुसार संभव है क्योंकि मई सबसे गर्म महीना है.''
उत्तर प्रदेश के बांदा में शनिवार को तापमान 47.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जोकि देश में सर्वाधिक रहा. IMD के महानिदेशक ने कहा कि ''लगातार कमजोर वर्षा गतिविधि'' के कारण मार्च और अप्रैल में उच्च तापमान दर्ज किया गया. उन्होंने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में मार्च के दौरान बारिश में करीब 89 फीसदी जबकि अप्रैल में 83 फीसदी गिरावट देखी गई.
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