Independence Day 2023: 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर नहीं बल्कि यहां फहराया गया था तिरंगा, जानें कौन सी जगह है वह 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 13, 2023, 03:11 PM IST

15 August 1947

15 August 1947 1ST Time Tricolor On Red Fort: हर साल 15 अगस्त पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि स्वतंत्र भारत में पहली बार तिरंगा लाल किले पर नहीं बल्कि इंडिया गेट के पास प्रिन्सेस पार्क में फहराया था. 

डीएनए हिंदी: 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को 200 साल से ज्यादा की दासता से मुक्ति मिली थी. देशवासियों के लिए वह दिन उम्मीदों का उगता सूरज था. देश के कोने-कोने में उत्सव का माहौल था. क्या आप जानते हैं ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग दिल्ली पहुंचे थे और पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को देखने के लिए अपार जनसमूह उतरा था. हालांकि परंपरा के तौर पर लाल किले से ही हर साल तिरंगा फहराया जाता है लेकिन 1947 में पंडित नेहरू ने लाल किले से 16 अगस्त को तिरंगा फहराया था. इसके बाद उन्होंने देश के नाम एक संदेश भी जारी किया था. आइए जानते हैं कि कैसा था उस पल का नजारा जब स्वतंत्र भारत में पहली बार शान से तिरंगा फहराया गया. 

दिल्ली के प्रिन्सेस घाट में नेहरू ने फहराया था झंडा 
लुई माउंटबेटन की बेटी पामेला माउंटबेटन ने अपनी किताब में लिखा है कि 15 अगस्त के दिन दिल्ली के कोने-कोने में अपार जनसमूह उमड़ा हुआ था. लोग अपने महबूब नेता की एक झलक देखने भर को बेताब थे. कुछ समय के लिए तो इतनी भीड़ थी कि विधानसभा भवन के गेट से बाहर निकलने में नेहरू और माउंटबेटन को खासी मुश्किल हुई थी.  15 अगस्त 1947 के  दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली थी इसके बाद दोनों शीर्ष नेता ने रोशनआरा बाग में वहां मौजूद बच्चों से मुलाकात की थी. फिर वो प्रिन्सेस पार्क में आयोजित मुख्य समारोह में पहुंचे थे और बतौर प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने आजाद भारत में पहली बार यहीं झंडा फहराया था. 

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16 अगस्त को लाल किले में फहराया था तिरंगा
लाल किले में तिरंगा फहराने का कार्यक्रम 16 अगस्त को ही हो पाया था. लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराने के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने जो भाषण दिया था उसे आज भी ऐतिहासिक माना जाता है. विलक्षण वक्ता नेहरू ने सपनों और उम्मीद से भरे देश को संकल्प, त्याग और भविष्य की चुनौतियों के लिए एक साथ तैयार होने का आग्रह किया था. नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि भारत ने सदियों के संघर्ष के बाद यह सुखद दिन देखा है जिसके पीछे हजारों लोगों का बलिदान है. 

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15 अगस्त 1947 को जब पहली बार लाल किले से झंडा फहराने के लिए नेहरू निकले तो आगे-आगे बिस्मिल्लाह खां थे. पंडित नेहरू संगीत के शौकीन थे और उन्होंने इच्छा जताई थी कि आजादी की सुबह का स्वागत पूरा देश संगीत के साथ करे. इसके बाद आजादी की पूर्व संध्या पर ढूंढकर बुलावा भेजा गया और उन्होंने लाल किला पर शहनाई वादन किया था. बिस्मिल्लाह खां उस दिन को अपने जीवन का सबसे सुंदर और यादगार दिन मानते थे. इसके बाद लाहौरी गेट पर नेहरू ने ध्वजारोहण किया था.

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