India China Talks: पूर्वी लद्दाख पर भारत-चीन के बीच 18वें दौर की सैन्य वार्ता, क्या निकला नतीजा?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 23, 2023, 11:38 PM IST

भारत और चीन के बीच फिर हुई सैन्य स्तर की वार्ता. 

भारत और चीन के बीच 18वें दौर की सैन्य वार्ता हुई है. नतीजा कुछ अलग नहीं नजर आ रहा है.

डीएनए हिंदी: चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू भारत आने वाले हैं. उनके प्रस्तावित दौरे से पहले पूर्वी लद्दाख के मुद्दों का हल निकालने की द्विपक्षीय कोशिश की जा रही है. रविवार को सीमा विवाद से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए उच्च-स्तरीय सैन्य वार्ता आयोजित की गई. 

शांगफू शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्री स्तर की एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने भारत आ रहे हैं, जिसकी मेजबानी भारत की अध्यक्षता में की जा रही है. यह बैठक 27 और अप्रैल को होनी है. 

चार महीने बाद हुई नई बैठक, क्या निकला नतीजा?

यह बैठक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी क्षेत्र की ओर स्थित चुशुल-मोल्डो सीमा मुलाकात केंद्र पर हुई. रविवार की सैन्य वार्ता दोनों पक्षों के वरिष्ठ सेना कमांडर के बीच पिछले दौर की बातचीत के करीब चार महीने बाद हुई है. यह तत्काल पता नहीं चल सका है कि लंबित मामलों के समाधान की दिशा में कोई प्रगति हुई है या नहीं. 

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भारत ने किन मुद्दों पर दिया जोर?

भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग के शेष विवादित स्थलों से संबंधित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने पर जोर दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एससीओ सम्मेलन से इतर अपने चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है. 

वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया. यही सैन्य कोर लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर सीमा सुरक्षा व्यवस्था संभालती है. कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख विवाद को हल करने के लिए शुरू की गई थी. 

कब चीन के साथ भारत के संबंध होंगे सामान्य?

भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. 

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जून 2020 में गलवान घाटी में भयंकर संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी. सैन्य और कूटनीतिक वार्ता का नतीजा यह निकला कि दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे और गोगरा क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक पीछे हटाए थे. (इनपुट: भाषा)

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