India-US Drone Deal: चीनी ड्रोन का 'शिकार' करेगी भारतीय सेना, US से आ रहे 30 'हंटर'

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Aug 14, 2024, 10:12 AM IST

India-US Drone Deal: भारत लंबे समय से अपनी सेना के तीनों विंग्स के लिए अमेरिका से एमक्यू-9बी रीपर ड्रोन खरीदने की कोशिश में जुटा हुआ है. 'हंटर किलर' कहलाने वाला यह प्रीडेटर-बी ड्रोन बेहद सटीक मिसाइल दागता है.

India-US Drone Deal: यदि सबकुछ ठीकठाक रहा और भारत-अमेरिका के बीच बातचीत में कोई बाधा नहीं आई तो जल्द ही चीन-पाकिस्तान की नींद हराम होने वाली है. दरअसल रक्षा मंत्रालय ने अपनी सेना के लिए अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की डील आखिरी चरण में पहुंचा दी है. 'हंटर किलर' कहलाने वाले इस ड्रोन को दुनिया में सबसे घातक प्रीडेटर ड्रोन माना जाता है, जो बेहद सटीक तरीके से मिसाइल को निशाने पर दागता है. भारत ऐसे 31 ड्रोन अमेरिका से खरीदने के लिए सौदेबाजी में जुटा हुआ है, जो भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के बीच बांटे जाएंगे. इससे भारतीय सीमाओं को चारों दिशाओं में सटीक सुरक्षा मिलना सुनिश्चित हो जाएगा.

नवंबर-दिसंबर तक पूरी हो सकती है मेगा डील

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत और अमेरिका के बीच 31 एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर-बी ड्रोन की खरीद के लिए बातचीत अब आखिरी स्टेज पर है. ड्रोन जनरल एटॉमिक्स कंपनी तैयार करेगी, लेकिन हाई ऑल्टीट्यूड में लॉन्ग फ्लाइट रेंज वाले इन ड्रोन्स की खरीद दोनों देश के बीच इंटर-गवर्मेंट कॉन्ट्रेक्ट के तहत होगी यानी यह दोनों देशों की सरकारों के बीच का सौदा होगा. इस सौदे पर इस साल नवंबर-दिसंबर तक हस्ताक्षर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया है. 

कीमत पर चल रहा है मोलभाव

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच डील पक्की हो चुकी है. अब केवल फाइनल प्राइस पर मोलभाव चल रहा है. दरअसल अमेरिका ने पूरी डील के लिए 3.9 अरब डॉलर (करीब 33,500 करोड़ रुपये) की कीमत तय की है, जिसमें कुछ डिस्काउंट लेने की कोशिश भारत कर रहा है. अमेरिका की तरफ से इस डील 31 हथियारबंद एमक्यू-9बी ड्रोन के साथ ही उनसे जुड़े उपकरण भी दिए जाएंगे. इन उपकरणों में 170 हेलफायर मिसाइलें, 310 जीबीयू-39बी प्रेसिजन-गाइडेड ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं. एक रक्षा सूत्र के मुताबिक, 'फाइनल डील के लिए अमेरिकी सरकार और जनरल एटॉमिक्स की तरफ से दूसरे देशों के साथ किए गए इस ड्रोन के सौदों को स्टडी किया जा रहा है ताकि उन्हें दी गई कीमत और शर्तों की तुलना हमें मिल रही डील के साथ हो सके. सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद इस कैलेंडर वर्ष के भीतर सौदे को पूरा करने के लिए सभी प्रयास चल रहे हैं.'

क्या है एमक्यू-9बी रीपर ड्रोन की खासियत

  • यह ड्रोन सटीक निशाना साधने के लिए मशहूर है.
  • 40,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है.
  • लगभग 40 घंटे तक लगातार उड़ान भरने की क्षमता रखता है.
  • टारगेट पर सटीक हमले के लिए हेलफायर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों और स्मार्ट बमों से लैस है. 

सेना की किस विंग को मिलेंगे कितने ड्रोन

अमेरिका से ड्रोन मिलने के बाद इनमें से 15 को भारतीय नौसेना के नियंत्रण में दिया जाएगा, जो समुद्री रक्षक के तौर पर काम करेंगे. इसके अलावा 8-8 ड्रोन आकाश रक्षक के तौर पर भारतीय सेना और इंडियन एयरफोर्स को दिए जाएंगे. इससे एकतरफ विशाल हिंद महासागर के इलाके में चीन और पाकिस्तान की हरकतों पर निगरानी रखना आसान हो जाएगा, दूसरा चीन से सटी 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LoC) की भी पल-पल की निगरानी होगी. 

चीन ने बढ़ा रखी थी अपने ड्रोन से चिंता

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस ड्रोन डील के पूरा होने पर चीन-पाकिस्तान की उस ड्रोन घेराबंदी को जवाब मिलेगा, जो दोनों देश भारतीय सीमा पर कर रहे हैं. दरअसल चीनी सेना ने अपने देश में बने क्वै होंग-4 और विंग लूंग-II ड्रोन लगातार पाकिस्तान को दे रहा है. ये दोनों अटैकिंग ड्रोन यानी मिसाइलों से लैस ड्रोन हैं. पाकिस्तान अपनी सेना को चीन से पहले ही 7 अटैकिंग सीएच-4 ड्रोन और नौसेना को 3 सीएच-4 ड्रोन लेकर दे चुका है. पाकिस्तान ने चीन से 16 सीएच-4 ड्रोन और मांगे हैं, जिनकी सप्लाई चीन ने जल्द ही करने का वादा किया है. भारत के पास अब तक इन ड्रोन के जवाब में अटैकिंग ड्रोन नहीं थे. भारत जनरल एटॉमिक्स से ही लीज पर मिले दो गार्डियन ड्रोन इस्तेमाल कर रही है, जिनसे खुफिया, निगरानी और टोही मिशन तो मजबूत हुए हैं, लेकिन ये हथियारबंद ड्रोन नहीं हैं.

भारत में ही असेंबल होंगे ड्रोन, स्थानीय कंपनियों को होगा लाभ

भारत-अमेरिका के बीच हो रही डील के तहत जनरल एटॉमिक्स कंपनी भारत में एक ग्लोबल MRO (रखरखाव, मरम्मत, ओवरहॉल) फैसेलिटी डवलप करेगी, जिसमें इन ड्रोन के हिस्से अमेरिका से लाकर असेंबल किया जाएगा. इसके लिए भारतीय कंपनियों से भी कुछ कलपुर्जे खरीदे जाएंगे. नवंबर-दिसंबर में डील फाइनल होने के बाद 10 MQ-9B ड्रोन अगले कुछ साल में भारत को मिल जाएंगे, जबकि बाकी ड्रोन उसके बाद हर छह महीने में बैच के हिसाब से मिलेंगे. इन ड्रोन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में सरसावा एयरबेस और पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जिले के ISR कमांड व कंट्रोल सेंटर पर तैनात किया जाएगा. समुद्री इलाकों में सेवा देने के लिए ये ड्रोन अरक्कोणम और पोरबंदर में तैनात किए जाएंगे.

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