Heart Transplant: नागपुर से लिफ्ट कर पुणे में ट्रांसप्लांट किया दिल, ब्रेनडेड महिला से मिली एयरफोर्स जवान को 'धड़कन'

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 27, 2023, 11:30 AM IST

Heart Transplant के लिए दिल लेकर जाती वायु सेना के जवानों और डॉक्टरों की टीम.

Heart Transplant In Pune: महिला के परिवार ने दिल के अलावा उनका लीवर और दो किडनी भी तीन अन्य लोगों को दान की हैं.

डीएनए हिंदी: Maharashtra News- महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गई एक महिला की बदौलत देश की सुरक्षा करने वाले एक जवान को 'धड़कन' मिल गई. नागपुर में महिला को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद उनका हार्ट भारतीय वायुसेना के एक जवान के सीने में ट्रांसप्लांट किया गया. यह ऑपरेशन पुणे में किया गया, जहां तक दिल लाने के लिए पुलिस की मदद से दो शहरों में ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया और वायुसेना का एक विमान इस ड्यूटी में तैनात किया गया. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला ने वायुसेना के जवान समेत कुल चार लोगों को नई जिंदगी दी है. महिला के परिवार की सहमित से उनके दिल के अलावा लीवर और दोनों किडनी भी तीन अन्य लोगों में ट्रांसप्लांट की गई है. 

पहले नागपुर और फिर पुणे में बनाया ग्रीन कॉरिडोर

PTI के मुताबिक, नागपुर में रहने वाली 31 साल की शुभांगी गण्यारपवार 20 जुलाई को अचानक गंभीर बीमार हो गई थीं. अपने पति और बेटी के साथ रहने वाली शुभांगी को अचानक सिर में गंभीर दर्द के कारण एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे कोमा में चली गईं. इसके बाद अस्पताल ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. शुभांगी के पति और भाई उनके शरीर के अंग दान करने की सहमति दी. इसके बाद 26 जुलाई को शुभांगी का दिल पुणे में जिंदगी-मौत से जूझ रहे वायुसेना के एक जवान में ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए पहले नागपुर और फिर पुणे में महाराष्ट्र पुलिस की मदद से ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया.

नागपुर से वायुसेना का विमान दिल लेकर आया पुणे

नागपुर में शुभांगी के शरीर से दिल निकालकर पुणे भेजने के लिए सुरक्षित किया गया. ग्रीन कॉरिडोर की मदद से भारतीय वायुसेना का एक AN-32 विमान इस जीवित मानव दिल को लेकर नागपुर से महज 90 मिनट के अंदर पुणे के लिए उड़ गया. पुणे में भी एयरपोर्ट से अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. वायुसेना की दक्षिणी कमान ने ट्वीट में बताया कि ग्रीन कॉरिडोर आईएएफ ट्रैफिक पुलिस नागपुर और पुणे और एससी प्रोवोस्ट यूनिट की ओर से दिया गया. इसके बाद उस जवान का सफल ऑपरेशन हो गया है.

क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर

मानव अंगों को शरीर से निकाले जाने के बाद जल्द से जल्द दूसरे शरीर में ट्रांसप्लांट करना जरूरी होता है. खासतौर पर दिल के मामले में यह समय बेहद कम है. इसके चलते दिल को मृत शरीर से अलग करने के बाद दूसरी जगह ट्रांसप्लांट के लिए जल्दी पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार होता है. इसके लिए तय रूट पर पुलिस की मदद से ट्रैफिक कंट्रोल किया जाता है, जिससे दिल या अन्य अंग ले जा रही गाड़ी बिना कहीं भी रूके तेजी से तय स्थान पर पहुंच जाती है. इस दौरान बीच में पड़ने वाली सभी रेड लाइट्स भी इस गाड़ी के लिए ग्रीन रखी जाती हैं और ट्रैफिक को हर चौराहे पर खासतौर पर पुलिसकर्मी तैनात करते हुए रोका जाता है.

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