डीएनए हिंदी: लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भले ही भारत और चीन को बांटने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शांत दिखाई दे रही है, लेकिन चीन अपनी सरहद में खुद को मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसके चलते भारतीय सेना (Indian Army) भी लगातार LAC पर अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में अब भारतीय सेना एक ऐसा कदम उठाने जा रही है, जिसे LAC पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army of China) के खिलाफ गेमचेंजर माना जा रहा है. भारतीय सेना अपने स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर (Zorawar Light Tank) को अप्रैल के महीने में LAC पर तैनात करने की तैयारी में है, जिससे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना की मारक क्षमता में जोरदार इजाफा होने की संभावना है.
दिसंबर में 354 जोरावर टैंक की खरीद को मिल चुकी अनुमति
Times Now की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जोरावर टैंक का निर्माण रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (DRDO) और निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने मिलकर किया है. इस टैंक का निर्माण 'आत्मनिर्भर भारत अभियान (Atmanirbhar Bharat)' के तहत स्वदेश में ही किया गया है. इस अभियान के जरिए भारत सरकार का मकसद स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है. रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद (Defence Acquisition Council) ने 354 जोरावर टैंक की खरीद के लिए Acceptance of Necessity (AoN) को मंजूरी दी है.
पिछले साल अक्टूबर में पहली बार पेश हुआ था यह टैंक
भारतीय रक्षा अनुसंधान विंग (Indian Defence Research Wing) की रिपोर्ट के मुताबिक, जोरावर लाइट टैंक का प्रोटोटाइप डेवलप करने में L&T ने लीड सिस्टम इंटिग्रेटर की भूमिका निभाई थी. IDRW की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 25 टन वजन वाले जोरावर टैंक को पहली बार पिछले साल अक्टूबर में डिफेंस एक्सपो के दौरान दुनिया के सामने पेश किया गया था.
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पहले 2023 के अंत तक मिलना था भारतीय सेना को
जोरावर लाइट टैंक के प्रोटोटाइप के टेक्निकल ट्रायल्स चल रहे हैं. पहले इसे यूजर ट्रायल्स के लिए साल 2023 के अंत तक भारतीय सेना को सौंपा जाना था, लेकिन चीनी सेना के एक कदम ने योजना को बदल दिया. दरअसल चीनी सेना ने LAC पर अपने टाइप-15 ब्लैक पैंथर लाइट टैंक (Type 15 Black Panther light tank) को तैनात कर दिया है. करीब 33 टन वजन के इस टैंक को एयरलिफ्ट करके कहीं भी ले जा सकते हैं. इस तैनाती के बाद वहां चीन की क्षमता बढ़ गई है. इसके जवाब में भारत ने भी अपने रूस में निर्मित T-72 और T-90 टैंकों की कुछ यूनिट्स को LAC पर तैनात किया है, लेकिन करीब 45 से 70 टन वजन के साथ ये बेहद भारी हैं. इसके चलते इन्हें हिमालय की दुर्गम ऊंचाइंयों पर आसानी से संचालित नहीं किया जा सकता है.
इसी कारण भारतीय सेना को मजबूत बनाने के लिए जोरावर टैंक डेवलप करने के प्रोग्राम को 'फास्ट ट्रैक' किया गया है. माना जा रहा है कि जोरावर लाइट टैंक एक मीडियम बैटल टैंक से ज्यादा बेहतर साबित होगा. साथ ही भारतीय सेना को हाई अल्टीट्यूड बैटलफील्ड में आकस्मिक जरूरतों के लिए सभी ऑप्शन उपलब्ध कराएगा.
क्या है जोरावर टैंक की खासियत
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