डीएनए हिंदीः वैसे तो भारतीय सेना सीमा पर लगातार ही चीन की हरकतों को मुंहतोड़ जवाब देती रहती है लेकिन अब हमारी फौज कुछ ऐसा करने जा रही है जिससे चीनी सैनिक अचरज में पड़ जाएंगे. लद्दाख, अरुणाचल और सिक्किम बॉर्डर पर चीन के सैनिकों की चालाकियों को पहले से समझने के लिए अब भारतीय फौज ने अपने सैनिकों को मंदारिन भाषा सीखाने का फैसला किया है.
हाल ही में पूर्व आर्मी चीफ एमएम नरवणे (M M Naravane) को एक प्रेजेंटेशन दिखाया गया, जिसमें मंदारिन सीखने की बात कही गई थी. प्रेजेंटेशन के अनुसार, भारतीय सैनिकों को मंदारिन सीखाने के दौरान चीन के बारे में और भी जानकारी दी जाएगी ताकि वो उसके काम करने के तरीकों और रणनीतियों के बारे में जान सकें. इसके अलावा विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में भी मंदारिन पढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि चीन की भाषा समझने वाले लोगों को तैयार किया जा सके.
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सैनिकों को मंदारिन सीखाना क्यों है जरूरी?
आज हाइब्रिड युद्ध के दौर में सूचनाओं को एक अहम हथियार के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में सेना के इस प्रयास को लद्दाख में चीन की आक्रामकता से जोड़ा जा रहा है. करीब दो साल पहले पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के जवानों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हुए थे. इसके झड़प में चीन के करीब 40 सैनिक मारे गए थे.
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LAC पर कैसे हैं हालात?
अभी तक चीन की ओर से पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की तैनाती कम करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं. इस मुद्दे पर हाल ही में भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी को भी कड़ा संदेश दिया गया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि जब तक सैनिकों की तैनाती और सीमा पर तनाव कम नहीं होगा, तब तक दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो पाएंगे.
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