डीएनए हिंदी: Indian Railway News- ओडिशा के बालासोर में बड़ा ट्रेन हादसा हो गया है. 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन शुक्रवार शाम 7 बजे एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतरकर एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए. इस हादसे में अब तक मरने वालों का ऑफिशियल नंबर सामने नहीं आ सका है, लेकिन चश्मदीदों के हवाले से और रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर 50 से ज्यादा लोगों की मौत की संभावना जताई जा रही है. करीब 200 लोग घायल हुए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि महज एक दिन पहले ही रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा पर चिंतन शिविर का आयोजन कर चर्चा की थी, जिसमें नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया गया था. इस शिविर के एक दिन बाद हुए हादसे से फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर रेलवे की सभी गाड़ियों को एक्सीडेंट से सुरक्षा का 'कवच' कब मिलेगा?
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बैठक में हुई थी रेल सुरक्षा पर ही चर्चा
रेल मंत्रालय ने दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 1 जून को रेलवे सुरक्षा व तकनीक पर चिंतन शिविर आयोजित किया था. इसमें रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी शामिल हुए थे. इस शिविर का मकसद रेल के सफर को सुरक्षित और आरामदेह बनाना ही था. इस शिविर में रेल मंत्री ने रेल सुरक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा कोशिश करने और नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया था. इसके अगले दिन हादसा हो गया है.
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रेलवे करता है 'कवच' से एक्सीडेंट रोकने का दावा
भारतीय रेलवे अपनी दुर्घटना रोधी प्रणाली 'कवच' को ट्रेन एक्सीडेंट रोकने का कारगर उपाय मानता है. रेलवे का दावा है कि कवच तकनीक से लैस ट्रेनों का आपस में एक्सीडेंट नहीं हो सकता. यदि ये ट्रेन आमने-सामने आ जाएंगी तो यह तकनीन उन्हें खुद ही पीछे की तरफ धकेलने लगती है यानी ट्रेन का आगे बढ़ना रूक जाता है.
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कहां पहुंचा है कवच का सफर
रेलवे बोर्ड ने पूरे देश में 34,000 किलोमीटर रेल ट्रैक पर कवच सिस्टम को लगाने की मंजूरी दी है. इसके लिए सबसे पहले साल 2024 तक सबसे व्यस्त रेल ट्रैक को इस सिस्टम से लैस करने का टारगेट तय किया गया है. इस तकनीक को रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (RDSO) की मदद से पूरे देश में रेलवे ट्रैक पर लागू किया जा रहा है. रेल मंत्री के राज्यसभा में दिए जवाब के हिसाब से इस तकनीक से दक्षिण मध्य रेलवे के 1,455 रूट कवर किए जा चुके हैं. कवच सिस्टम के लिए साल 2021-22 में 133 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि साल 2022-2023 के वित्तीय बजट में भी कवच के लिए अलग से 272.30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
TPWS को भी लागू कर रहा है रेलवे
रेलवे ट्रेन में TPWS सिस्टम को भी लागू कर रहा है. TPWS यानी ट्रेन सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली एक ऐसा अहम सिस्टम है, जिससे एक्सीडेंट कम हो सकते हैं. दरअसल इसमें हर रेलवे सिग्नल इंजन के कैब में लगी स्क्रीन पर दिखाई देने की व्यवस्था की गई है. इससे पायलट घने कोहरे, बारिश या किसी अन्य कारण से खराब मौसम में भी कोई सिग्नल मिस नहीं करेगा. साथ ही उसे अपनी ट्रेन की सही गति भी मालूम रहेगी ताकि वह खराब मौसम में गति को धीमा रख सके.
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