ISRO ने दिखाई Chandrayaan-3 की झलक, जानें कब लॉन्च होगा भारत का यह खास मिशन

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 27, 2022, 11:10 AM IST

चंद्रमा पर तीसरा मिशन भेजने की तैयारी में भारत

इसरो ने एक डॉक्युमेंट्री में Chandrayaan-3 के स्पेसक्राफ्ट की पहली तस्वीरें दिखाई हैं. यह मिशन इसी साल अगस्त महीने में लॉन्च किया जाना है.

डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा पर भेजे जाने वाले स्पेसक्राफ्ट Chandrayaan-3 की पहली झलक एक डॉक्युमेंट्री में दिखाई है. चंद्रयान-3 को अभी असेंबल किया जा रहा है और इसरो को उम्मीद है कि इस साल के अगस्त महीने तक इस मिशन (Chandrayaan-3 Mission) को लॉन्च किया जा सकेगा.

भारत के 'आजादी का अमृत महोत्सव' सेलिब्रेशन के तहत, इसरो ने अपनी वेबसाइट पर एक डॉक्युमेंट्री पोस्ट की है. इस डॉक्युमेंट्री में भारत की ओर से लॉन्च किए गए 75 सैटलाइट को दिखाया गया है. 'स्पेस ऑन वील्स' नाम की इस डॉक्युमेंट्री में चंद्रयान-3 की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं.

प्रोपल्शन सिस्टम की हो रही है टेस्टिंग

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था कि वे चंद्रयान-3 मिशन के प्रोपल्शन सिस्टम की टेस्टिंग की जा रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो मिशन अपनी गति से आगे बढ़ता रहेगा. इसरो की वेबसाइट पर मौजूद डॉक्युमेंट्री में चंद्रयान-3 के लैंडर को दिखाया गया है.

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आपको बता दें कि चंद्रमा पर लैंड करने का यह भारत का दूसरा प्रयास होगा. चंद्रयान-3 के अलावा डॉक्युमेंट्री में भारत के पहले मानव सहित स्पेस मिशन गगनयान (Gaganyaan), वीनस ऑर्बिटर मिशन और भारत-अमेरिका के संयुक्त प्रोजेक्ट NISAR मिशन पर चल रहे काम को भी दिखाया गया है.

इस बार सिर्फ़ लैंडर भेजेगा ISRO

बताते चलें कि चंद्रयान-3 को पहले 2020 के अंत तक लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसमें देरी हो गई. चंद्रयान-3 में सिर्फ़ लैंडर भेजा जाएगा और इसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि चंद्रयान-2 के साथ भेजा गया ऑर्बिटर ठीक तरीके से काम कर रहा है. चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए काफी अहम है, क्योंकि यह चंद्रमा पर लैंड करने का भारत का दूसरा प्रयास होगा.

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इससे पहले, 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया चंद्रयान-2 मिशन आंशिक तौर पर सफल हुआ था, क्योंकि इसका लैंडर चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था. हालांकि, इसका ऑर्बिटर अपनी कक्षा में स्थापित हो गया था और यह 20 अगस्त 2019 से ही 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है. यह चंद्रमा की सतह की तस्वीरें और कुछ अहम डेटा भेजने का काम करता है.

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