डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले (Doda Sinking) में जोशीमठ (Joshimath) जैसे संकट सामने आया है. डोडा जिले के एक गांव में 24 से अधिक घरों में बड़ी दरारें आ गई हैं. परिवारों को घरों से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. जिसकी वजह से इलाके में दहशत का माहौल है. अधिकारियों ने किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग के पास थाथरी के नई बस्ती गांव में एक मस्जिद और एक मदरसे को भी असुरक्षित घोषित कर दिया है.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन हालात पर करीबी नजर रख रहा है. सरकार डोडा में दो दर्जन इमारतों को देख रही है, जिनमें दरारें पड़ रही हैं. लेकिन यह स्थिति जोशीमठ भू-धसाव जैसी स्थिति नहीं है. डोडा शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग के पास थाथरी के नई बस्ती गांव में कई घरों में दरारें आ गई हैं. दरारें आने के बाद अब तक 3 घर गिर गए हैं, जबकि 18 घरों को खतरनाक माना गया है. 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगह पर स्थानांतरित किया गया है.
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सिन्हा ने कहा, ‘सभी प्रभावित घरों को खाली करा लिया गया है और बहुत घबराने की आवश्यकता नहीं है. प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है और (पुनर्वास के लिए) हरसंभव कदम उठाए जाएंगे.’ यह पूछे जाने पर कि क्या प्रभावित गांव में जोशीमठ जैसी स्थिति है, उपराज्यपाल ने कहा, ‘बिलकुल नहीं.’ उन्होंने कहा कि हमें विशेषज्ञों की राय पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें विश्लेषण करने और तथ्यों के साथ सामने आने देना चाहिए. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की एक टीम गहन जांच के लिए डोडा पहुंची है.
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जोशीमठ में पड़ी दरारें
इससे पहले उत्तराखंड के जोशीमठ में सैकड़ों घरों में दरारे आ गई थीं. जोशमीठ को बंद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब का मुख्य द्वार माना जाता है. यहां अक्टूबर 2021 से मकानों में दरारें आने का सिलसिला शुरू हुआ था, लेकिन पिछले साल दिसंबर में स्थिति काफी तेजी से बिगड़ी थी. जोशीमठ में अब तक 863 घरों में दरारें आ चुकी हैं, जोशीमठ में कुल 4500 घर हैं. इनमें से 181 इमारतों को असुरक्षित घोषित किया गया है. देश की एजेंसियों ने इस भूधंसाव की वजह पता लगाने में जुटी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके पीछे NTPC प्लांट जिम्मेदार है.
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