Shaurya Chakra: सीने पर बरसती रहीं गोलियां, फिर भी आतंकी को कार से खींचकर मारा, कश्मीर के इस जांबाज को मिला शौर्य चक्र

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 26, 2023, 07:37 PM IST

मुदासिर अहम शेख को मरणोंपरांत शौर्य चक्र से नवाजा गया

Mudasir Ahmad sheikh Real Life Story: जम्मू-कश्मीर पुलिस के कॉन्स्टेबल मुदासिर अहम शेख को मरणोपरांत शौर्य चक्र से नवाजा जाएगा.

डीएनए हिंदी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या 15 शौर्य चक्रों समेत 412 वीरता पुरस्कारों का ऐलान किया. शौर्य चक्र पाने वालों में एक नाम जम्मू कश्मीर पुलिस के कॉन्स्टेबल मुदासिर अहम शेख (Mudasir Ahmad Sheikh) का भी है. मुदासिर को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. मुदसिर शेख एक ‘बिंदास’ एवं साहसी पुलिसकर्मी थे जो बारामूला में 25 मई 2022 को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के एक गिरोह का सफाया करते हुए शहीद हो गए थे. इस ऑपरेशन में उन्होंने तीन आतंकियों को ढेर किया था. एक आतंकी को कार से नीचे खींचकर गोली मारी थी.

अधिकारियों ने उक्त घटना की जानकारी देते हुए बताया था कि 25 मई 2022 को सुरक्षाबलों को कुछ आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना मिली थी. इसके बाद सेना ने श्रकवारा-नजीभात चौराहे समेत कई जगहों बैरिकेडिंग कर ऑपरेशन शुरू किया था. उन्होंने बताया कि कार में सफर कर रहे कुछ आतंकियों ने पुलिस टीम को देखा तो अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. जिसके जवाब में सुरक्षाबलों ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी. 

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मुदासिर ने 3 आतंकियों को किया था ढेर
आतंकियों की कार बैरिकेडिंग तोड़ते हुए आगे बढ़ने लगी, तभी अपनी जान की परवाह किए बगैर मुदासिर अहमद शेख आतंकियों के वाहन पर छपटे और एक आतंकी को कार से बाहर खींच लिया. इसके बाद बाकी आतंकियों ने मुदासिर के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने एक हाथ से आतंकी को पकड़े रखा और दूसरे हाथ से आतंकियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग करते रहे. मुदासिर ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया. 

उनकी इस बहादुरी की वजह से कश्मीर में बड़ा आतंकी हमला नाकाम हो गया. बाद में मुदासिर की अस्पताल में इलाज के शहीद हो गए. मुदासिर अहमद को इस बेजोड़ साहस, वीरता और शौर्य के लिए 'शौर्य चक्र' से सम्मानित किया गया. उन्हें मरणोपरांत इस अवार्ड से सम्मानित किया गया. बता दें कि शौर्य चक्र शांतिकाल में दिया जाने वाला देश के तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.

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'बिंदास भाई' के नाम से भी जाना जाता था मुदासिर 
मुदासिर अहमद शेख को 'बिंदास भाई' के नाम से भी जाना जाता था. जम्मू कश्मीर पुलिस ज्वाइन करने के बाद लोगों से उन्हें ये नाम मिला था. मुदासिर के पिता कहना है कि वह काफी मिलनसार था. लोगों की मदद करने के लिए वह हमेशा आगे रहता था. यंगस्टर्स के बीच वह एक रोल मॉडल था. अक्सर अपने दोस्तों को सरप्राइज दिया करता था. पिता ने कहा कि वह मरने से नहीं डरता था. वह देश की रक्षा के लिए हमेशा जान कुर्बान करने के लिए तैयार रहता था. उन्होंने कहा कि 'मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, मुझे उस पर गर्व है.'

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अमित शाह ने परिवार से की थी मुलाकात
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 5 अक्टूबर को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने के बाद घाटी के अपने पहले दौरे के दौरान शेख के परिवार से मुलाकात की थी. शाह ने शेख के परिवार से मुलाकात की थी और उनसे बातचीत की थी. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कश्मीर) विजय कुमार ने कहा कि शेख ने तीन विदेशी आतंकवादियों को मार गिराते हुए शहादत दी, वीर को सलाम.

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