डीएनए हिंदी: भारत के इतिहास में आज यानि 27 मई का दिन बहुत यादगार है. 27 मई 1964 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pt. Jawaharlal Nehru) का हृदयाघात (Heart Attack) से निधन हो गया था. स्वतंत्र संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने के बाद आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के तौर पर पंडित नेहरू की उपलब्धियों से इतिहास भरा पड़ा है. बताया जाता है कि नेहरू को पैसे से कोई खास लगाव नहीं था. 3 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार में शामिल होने का फैसला किया तो उन्होंने अपनी सारी संपत्ति देश को दान कर दी थी.
पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pt. Jawaharlal Nehru) के सचिव रहे एमओ मथाई ने अपनी किताब 'रेमिनिसेंसेज ऑफ नेहरू एज' में लिखा की 1946 की शुरूआत में उनकी जेब में सिर्फ 20 रुपये रहा करते थे. ये पैसे भी उनके जल्द खत्म हो जाते थे, क्योंकि नेहरू इन पैसों को पाकिस्तान से आए परेशान शरणार्थियों में बांट दिया करते थे. पैसे खत्म हो जाने के बाद वो फिर पैसे मांगते. इससे परेशान होकर मथाई ने उनकी जेब में पैसे रखवाने बंद कर दिए. लेकिन नेहरू जी का मदद करने का काम कहां रुकने वाला था. इसके बाद उन्होंने अपनी सुरक्षा में लगे अधिकारियों से पैसे उधार लेने शुरू कर दिए.
ईमानदारी की मिसाल थे नेहरू
मथाई को इसके बारे में जब भनक लगी तो उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि वह नेहरू को 10 रुपये से ज्यादा उधार न दें. मथाई भी नेहरू की इस आदत से इतने परेशान हो गए कि उन्होंने प्रधानमंत्री सहायता कोष से कुछ पैसे निकलवाकर उनके निजी के पास रखवाना शुरू कर दिया, जिससे नेहरू तनख्वाह के सारे पैसे लोगों में न बांट दें. मथाई बताते हैं कि सार्वजनिक जीवन में अगर ईमानदारी की बात करें तो नेहरू का कोई सानी नहीं था.
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बहन का बिल नेहरू ने चुकाया
वहीं, जाने-माने पत्रकार कुलदीप नय्यर नेहरू के बारे में ऐसी बात बताई जिसकी आज के युग में कल्पना करना भी मुश्किल है. नय्यर, नेहरू के सूचना अधिकारी के तौर पर काम कर चुके थे. उन्होंने बताया कि नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित बहुत खर्चीली थीं. उन्हें खाने-पीने और घूमने का बहुत शौक था. एक बार विजय लक्ष्मी शिमला गईं और वहां वो सर्किट हाउस में ठहरीं. इसका बिल 2500 रुपये आया था. लेकिन वह बिल का भुगतान किए बिना वहां से चली आईं.
तब हिमाचल प्रदेश, पंजाब का हिस्सा होता था. तब भीमसेन सच्चर पंजाब के मुख्यमंत्री थे. सच्चर के पास राज्यपाल चंदूलाल त्रिवेदी का पत्र आया कि विजय लक्ष्मी पंडित 2500 रुपये का भुगतान नहीं करके गई हैं, क्या इस राशि को राज्य सरकार के विभिन्न खर्चों के तहत दिखा दिया जाए. सीएम सच्चर के यह बात गले नहीं उतरी. उन्होंने लक्ष्मी पंडित से तो कुछ नहीं कहा, लेकिन झिझकते हुए प्रधानमंत्री नेहरू को पत्र लिखा और पूछा कि इस पैसे का हिसाब किस मद में डाला जाए.
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नेहरू ने 5 महीने में चुकाए पैसे
पंडित नेहरू ने भी पत्र का तुरंत जवाब दिया और कहा कि इसका भुगतान वह स्वंय करेंगे. नेहरू ने लिखा कि वह एक साथ इतने पैसे नहीं दे सकते, इसलिए पंजाब सरकार को पांच किस्तों में यह राशि चुकाएंगे. नेहरू ने अपनी निजी बैंक खाते से लगातार 5 महीने चेक के जरिए पंजाब सरकार को पैसे दिए.
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