डीएनए हिंदी : झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर ख़तरे के आसार मंडराने लगे हैं. राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है. इस गठबंधन में झामुमो मुख्य दल है जबकि कांग्रेस सहयोगी भूमिका में है. कांग्रेस पार्टी लगातार इस बात की शिकायत कर रही है कि झारखंड सरकार उसे अनदेखा कर रही है. झारखंड में कांग्रेस के नेता अविनाश पांडे ने सोमवार को इस पर बात करते हुए कहा कि किसी को भी इस ग़लतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि वे सहयोग के बिना सरकार चला सकते हैं.
कांग्रेस विधायकों का है कहना, सरकार नहीं देती उन पर ध्यान
झारखंड सरकार के सामने पैदा हुई इस समस्या की वजह झारखंड कांग्रेस के विधायकों का असंतोष मानी जा रही है. कांग्रेस के विधायकों को बड़े स्तर पर महसूस हो रहा है कि झारखंड सरकार उनका ख़याल नहीं रख रही है.
विधायकों की समस्या उठाते हुए कांग्रेस नेता पांडे ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार स्थिर रहे पर कोई सरकार या पार्टी कांग्रेस के खिलाफ काम करेगी तो हम इसे नहीं बर्दाश्त करेंगे. जितनी जल्दी हेमंत सोरेन को इस बात का अंदाज़ा हो जाए सरकार के लिए उतना बढ़िया है.
5 अप्रैल को दिल्ली में है झारखंंड के कांग्रेस विधायकों की बैठक
झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मुताबिक़, "झारखंड में कांग्रेस के कुल 25 नेताओं को 5 अप्रैल को मीटिंग के लिए दिल्ली बुलाया गया है. राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष , राज्य में कांग्रेस के सभी मंत्री, और कुछ अन्य विभागों के अध्यक्ष भी इस मीटिंग में हिस्सा लेंगे."
गौरतलब है कि 81 सीटों वाली झारखंंड विधानसभा में झामुमो के पास 30 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 18. एक विधायक राजद का है. राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा के पास 26 विधायक हैं.
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